Thursday, July 29, 2010

यदि विश्व में सोने के तख्त पर कोई व्यक्ति बैठता है तो वह एक व्यक्ति भारत का गुरू शंकराचार्य ही है।

ऐसा नहीं है कि हमारा देश भुखमरों का देश है इसलिए भुखमरी है, गरीबों का देश है इसलिए गरीबी है और लाचारी व बेरोजगारों का देश है इसलिए लाचारी व बेरोजगारी है। इसके विपरीत तथ्य यह है कि हमारे देश में 15 प्रतिशत लोगों के पास इतना धन , इतना सोना, और इतना बैंक जमा है कि विश्व के पचासों देशों की पूरी जनसंख्या के पास होगा। हमारा देश कर्ज में डूबा है परंतु हमारे देश के इन 15 प्रतिशत (सवर्णों) के विदेशी खाते में जमा धन के ब्याज से ही भारत का पूरा कर्जा एक साल में उतर सकता है।
हमारे देश में 10 लाख मंदिर हैं जो अरबों-खरबों के सोने चांदी और अनेक आभूषणों से भरे पड़े हैं। यदि विश्व में सोने के तख्त पर कोई व्यक्ति बैठता है तो वह एक व्यक्ति भारत का गुरू शंकराचार्य ही है। कुछ समय पूर्व अभी एक शंकराचार्य की मृत्यु हुई थी तो उसका शव भी सोने के तख्त पर लिटाया गया था। भारत में 5 प्रतिशत उच्च जातीय जमींदार हैं जिनमें एक-एक के पास 10-10 हजार एकड़ भूमि के फ़ार्म हैं। इन जमींदारों के पास भी अरबों-खरबों की सम्पत्ति है। इनमें कुछ राज-घराने के लोग हैं जिनके पास अब भी अरबों-खरबों के खजाने हैं, स्वर्ण महल हैं और निजी हवाई जहाज हैं। ये जमींदार और सामन्त अपनी बेटी और बेटे के विवाहों में रत्न जड़ित गलीचों का बिछोना बिछाते हैं।
भारत का वैश्य वर्ग भी कम नहीं है। वह सुई से लेकर रेल, हवाई जहाज तक का उद्योग चलाता है। सोना-चांदी, हीरे जवाहरात , तस्करी का माल, गाय की चर्बी और जीवित इन्सानी बच्चों तथा स्त्रियों के साथ ही वह आदमी के खून तक की तिजारत करता है। खाद्य-पदार्थों, दवाओं और जहर तक में मिलावट कर धन बटोरता है। आज देश की एक तिहाई पूंजी उसके पास है।
सच यह है कि हमारा 85 प्रतिशत भारत गरीब है, भूखा है, नंगा है, बेघरबार है और लाचार है पर 15 प्रतिशत सवर्ण लोग धन की उबकाई करते हैं और इनके कुत्ते कारों में सफर करते हैं, पांच सितारा होटलों में पुडिंग और मलाई खाते हैं जिसकी उन्हें बदहजमी हो जाती है। भारत के भूगोल में जहां एक तरफ शहरी कूड़े-करकट के ढेरों के बीच सड़े गले प्लास्टिक और फूंस से ढकी मिट्टी या बांस के खम्बों की खड़ी दलितों की झोंपड़ियां हैं तो दूसरी ओर वहीं हिन्दुओं की बहुमंजिली इमारतें, ऊंचे-ऊंचे रंगमहल और शीशमहल बने हुए हैं। एक तरफ पेट भरने के लिए मेहनत मजदूरी भी पर्याप्त नहीं है तो दूसरी ओर हिन्दुओं के ऊंचे-ऊंचे औद्योगिक प्रतिष्ठान हैं, दुकानें, कारखाने हैं और भूमि के हजारों-हजारों एकड़ फार्म हैं। एक तरफ जहां दलितों का अपना कोई प्राइमरी स्कूल तक नहीं है वहीं दूसरी ओर हिन्दुओं के अपने डिग्री कॉलेज, मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज हैं। एक तरफ दलित गरीब के पास चलाने को टूटी साइकिल भी नहीं है तो दूसरी ओर एक-एक हिन्दू, सेठ, साहब और सन्यासी के पास 50-50 काफिलों में चलने वाली विलायती कारें हैं। दलित दरिद्र के मनोंरंजन का साधन मात्र उसकी पत्नी और उसके बच्चे हैं, जबकि हिन्दू महन्त, मठाधीश, ज़मींदार, शरमाएदार और सेठ चोटी से पैर तक अय्यासी में डूबे हुए रहते हैं। एक तरफ दलित मासूम बच्चों को 40-40 रूपये में पेट की खातिर बाजार में बेच देते हैं वहीं इन हिन्दुओं के अपने मसाजघर, मनोरंजन थियेटर, नाचघर, जुआघर और मयखाने हैं जहां जीवित मांस का व्यापार होता है।
हमारा देश गरीब है यह चीख-पुकार एक नाटक है, लाचारी है, हमारे देश में बेरोजगारी है यह भी एक नाटक है। गरीबी, बेरोजगारी और भुखमरी किसी देश में तब कही जा सकती है जब गरीबी, बेरोजगारी , लाचारी और भुखमरी से सब प्रभावित हों। हमारे देश में ऐसा नहीं है। हमारे यहां करोड़ों गरीब हैं और करोड़ों नंगे भी हैं। सच यह है कि हमारे यहां 15 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जो सोना खाते हैं और सोने का ही वमन करते हैं। यहां मूल समस्या समाज में हिस्सेदारी की है। यदि 15 प्रतिशत के पास जमा सोना-चांदी, हीरे-जवाहरात के धन में हिस्सेदारी कर दी जाये तो भारत में एक भी व्यक्ति न भूखा सो सकता है न एक भी व्यक्ति नंगा रह सकता है। तब एक भी व्यक्ति न बेघरबार रह सकता है और न तब एक भी व्यक्ति बेरोजगार रह सकता है। यदि धर्मालयों का धन बाहर निकाल दिया जाय, भूमि का भूमिहीनों में वितरण कर दिया जाय और उद्योगों के लाइसेंस में एक व्यक्ति एक उद्योग कर दिया जाए तो हर तबाही तुरन्त दूर हो सकती है अथवा देवालयों, भूमि और उद्योग-व्यापार का राष्ट्रीयकरण कर दिया जाय तो हमारा देश 132 वें स्थान से उठकर आज ही 32 वें स्थान पर आ सकता है।
देश की इस गर्दिश के लिए कौन उत्तरदायी है यह एक खुली किताब है। यह इन मुठ्ठी भर उच्च हिन्दुओं की स्वार्थ, शोषण दमन और भेदभावपूर्ण नीति का परिणाम है।

-पृ. 1-3, हिन्दू विदेशी हैं, लेखक एस.एल.सागर, सागर प्रकाशन 223 दरीबा,मैनपुरी, उ.प्र., द्वितीय संस्करण 1999 से साभार

123 comments:

  1. हा हा हा अरे कागज़ी डालो या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से चार बजे बाद तो वोटिंग बूथ पर वोटिंग बंद

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  2. और और सारे मवाली जिस पार्टी को या उम्मीदवार को जिताना चाहते उसके समर्थन मे बूथ को बंद करके धड़ाधड़ ठप्पे लागाते है या बटन दबाते है

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  3. वोट देने पहुचती जनता 25% और मतदान हो जाता है 45 - 50 -55 %

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  4. लोकतंत्र नाम का ये झुनझुना तो पूंजीवादियो ने जनता को दे दिया कि सरकार तो जनता कि है .......

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  5. अब बजाते रहे इस झुनझुने को और मन बहलाते रहो हा हा हा

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  6. हमारे यहां करोड़ों गरीब हैं और करोड़ों नंगे भी हैं। सच यह है कि हमारे यहां 15 प्रतिशत ऐसे लोग हैं जो सोना खाते हैं और सोने का ही वमन करते हैं। यहां मूल समस्या समाज में हिस्सेदारी की है। यदि 15 प्रतिशत के पास जमा सोना-चांदी, हीरे-जवाहरात के धन में हिस्सेदारी कर दी जाये तो भारत में एक भी व्यक्ति न भूखा सो सकता है न एक भी व्यक्ति नंगा रह सकता है

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  7. अब बजाते रहे इस झुनझुने को और मन बहलाते रहो हा हा हा

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  8. MAYAWATI KI CHUT KHOKLIJuly 29, 2010 at 8:45 AM

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  9. ज़रा बहन जी का खाता भी चेक करके बता देते तो पोस्ट में चार चाँद लग जाते

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  10. Desh ka ek dalit Ram vilas paswan bachara dalit hai is liya p m nahi bana /maya wati bachari dalit hai is liya p m nahi bani yeh sab kitana bachara hai bachara satya dalit hai is liya kuch kar nahi paya dalit hai na sabhi dalit ek jut hokar DALITASTAN KI MANG KARO DALISTAN JINDABAD JINDABAD waha par P M BHEE DALIT ?C M BHEE DALI?D M BHEE DALITD,

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  11. भारत में छुआ- छूत नहीं थी पता नहीं भारत में कब और कैसे ये छुआ-छूत का विषधर सांप घुस गया? पूर्वाग्रहों को छोड़ कर ज़रा तथ्यों व प्रमाणों की रोशनी में देखें तो पता चलता है कि भारत में जातियां तो थीं पर छुआ- छूत नहीं. स्वयं अंग्रेजों के द्वारा दिए आंकड़े इसके प्रमाण हैं.

    भारत को कमज़ोर बनाने की अनेक चालें चलने वाले अंग्रेजों ने आंकड़े जुटाने और हमारी कमजोरी व विशेषताओं को जानने के लिए सर्वे करवाए थे. उन सर्वेक्षणों के तथ्यों और आज के झूठे इतिहास के कथनों में ज़मीन आस्मान का अंतर है.

    सन १८२० में एडम स्मिथ नामक अँगरेज़ ने एक सर्वेक्षण किया. एक सर्वेक्षण टी. बी. मैकाले ने १८३५ करवाया था. इन सर्वेक्षणों से ज्ञात और अनेक तथ्यों के इलावा ये पता चलता है कि तबतक भारत में अस्पृश्यता नाम की बीमारी नहीं थी.

    यह सर्वे बतलाता है कि—

    # तब भारत के विद्यालयों में औसतन २६% ऊंची जातियों के विद्यार्थी पढ़ते थे तथा ६४% छोटी जातियों के छात्र थे.

    # १००० शिक्षकों में २०० द्विज / ब्राह्मण और शेष डोम जाती तक के शिक्षक थे. स्वर्ण कहलाने वाली जातियों के छात्र भी उनसे बिना किसी भेद-भाव के पढ़ते थे.

    # मद्रास प्रेजीडेन्सी में तब १५०० ( ये भी अविश्वसनीय है न ) मेडिकल कालेज थे जिनमें एम्.एस. डिग्री के बराबर शिक्षा दी जाती थी. ( आज सारे भारत में इतने मेडिकल कालेज नहीं होंगे.)

    # दक्षिण भारत में २२०० ( कमाल है! ) इंजीनियरिंग कालेज थे जिनमें एम्.ई. स्तर की शीशा दी जाती थी.

    # मेडिकल कालेजों के अधिकांश सर्जन नाई जाती के थे और इंजीनियरिंग कालेज के अधिकाँश आचार्य पेरियार जाती के थे. स्मरणीय है कि आज छोटी जाती के समझे जाने वाले इन पेरियार वास्तुकारों ने ही मदुरई आदि दक्षिण भारत के अद्भुत वास्तु वाले मंदिर बनाए हैं.

    # तब के मद्रास के जिला कलेक्टर ए.ओ.ह्युम ( जी हाँ, वही कांग्रेस संस्थापक) ने लिखित आदेश निकालकर पेरियार वास्तुकारों पर रोक लगा दी थी कि वे मंदिर निर्माण नहीं कर सकते. इस आदेश को कानून बना दिया था.

    # ये नाई सर्जन या वैद्य कितने योग्य थे इसका अनुमान एक घटना से हो जाता है. सन १७८१ में कर्नल कूट ने हैदर अली पर आक्रमण किया और उससे हार गया . हैदर अली ने कर्नल कूट को मारने के बजाय उसकी नाक काट कर उसे भगा दिया. भागते, भटकते कूट बेलगाँव नामक स्थान पर पहुंचा तो एक नाई सर्जन को उसपर दया आगई. उसने कूट की नई नाक कुछ ही दिनों में बनादी. हैरान हुआ कर्नल कूट ब्रिटिश पार्लियामेंट में गया और उसने सबने अपनी नाक दिखा कर बताया कि मेरी कटी नाक किस प्रकार एक भारतीय सर्जन ने बनाई है. नाक कटने का कोई निशान तक नहीं बचा था. उस समय तक दुनिया को प्लास्टिक सर्जरी की कोई जानकारी नहीं थी. तब इंग्लॅण्ड के चकित्सक उसी भारतीय सर्जन के पास आये और उससे शल्य चिकित्सा, प्लास्टिक सर्जरी सीखी. उसके बाद उन अंग्रेजों के द्वारा यूरोप में यह प्लास्टिक सर्जरी पहुंची.

    ### अब ज़रा सोचें कि भारत में आज से केवल १७५ साल पहले तक तो कोई जातिवाद याने छुआ-छूत नहीं थी. कार्य विभाजन, कला-कौशल की वृद्धी, समृद्धी के लिए जातियां तो ज़रूर थीं पर जातियों के नाम पर ये घृणा, विद्वेष, अमानवीय व्यवहार नहीं था. फिर ये कुरीति कब और किसके द्वारा और क्यों प्रचलित कीगई ? हज़ारों साल में जो नहीं था वह कैसे होगया? अपने देश-समाज की रक्षा व सम्मान के लिए इस पर खोज, शोध करने की ज़रूरत है. यह अमानवीय व्यवहार बंद होना ही चाहिए और इसे प्रचलित करने वालों के चेहरों से नकाब हमें हटनी चाहिए. साथ ही बंद होना चाहिए ये भारत को चुन-चुन कर लांछित करने के, हीनता बोध जगाने के सुनियोजित प्रयास. हमें अपनी कमियों के साथ-साथ गुणों का भी तो स्मरण करते रहना चाहिए जिससे समाज हीन ग्रंथी का शिकार न बन जाये. यही तो करना चाह रहे हैं हमारे चहने वाले, हमें कजोर बनाने वाले. उनकी चाल सफ़ल करने में‚ सहयोग करना है या उन्हें विफ़ल बनाना है? ये ध्यान रहे!

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  12. पता नहीं भारत में कब और कैसे ये छुआ-छूत का विषधर सांप घुस गया? पूर्वाग्रहों को छोड़ कर ज़रा तथ्यों व प्रमाणों की रोशनी में देखें तो पता चलता है कि भारत में जातियां तो थीं पर छुआ- छूत नहीं. स्वयं अंग्रेजों के द्वारा दिए आंकड़े इसके प्रमाण हैं.

    भारत को कमज़ोर बनाने की अनेक चालें चलने वाले अंग्रेजों ने आंकड़े जुटाने और हमारी कमजोरी व विशेषताओं को जानने के लिए सर्वे करवाए थे. उन सर्वेक्षणों के तथ्यों और आज के झूठे इतिहास के कथनों में ज़मीन आस्मान का अंतर है.

    सन १८२० में एडम स्मिथ नामक अँगरेज़ ने एक सर्वेक्षण किया. एक सर्वेक्षण टी. बी. मैकाले ने १८३५ करवाया था. इन सर्वेक्षणों से ज्ञात और अनेक तथ्यों के इलावा ये पता चलता है कि तबतक भारत में अस्पृश्यता नाम की बीमारी नहीं थी.

    यह सर्वे बतलाता है कि—

    # तब भारत के विद्यालयों में औसतन २६% ऊंची जातियों के विद्यार्थी पढ़ते थे तथा ६४% छोटी जातियों के छात्र थे.

    # १००० शिक्षकों में २०० द्विज / ब्राह्मण और शेष डोम जाती तक के शिक्षक थे. स्वर्ण कहलाने वाली जातियों के छात्र भी उनसे बिना किसी भेद-भाव के पढ़ते थे.

    # मद्रास प्रेजीडेन्सी में तब १५०० ( ये भी अविश्वसनीय है न ) मेडिकल कालेज थे जिनमें एम्.एस. डिग्री के बराबर शिक्षा दी जाती थी. ( आज सारे भारत में इतने मेडिकल कालेज नहीं होंगे.)

    # दक्षिण भारत में २२०० ( कमाल है! ) इंजीनियरिंग कालेज थे जिनमें एम्.ई. स्तर की शीशा दी जाती थी.

    # मेडिकल कालेजों के अधिकांश सर्जन नाई जाती के थे और इंजीनियरिंग कालेज के अधिकाँश आचार्य पेरियार जाती के थे. स्मरणीय है कि आज छोटी जाती के समझे जाने वाले इन पेरियार वास्तुकारों ने ही मदुरई आदि दक्षिण भारत के अद्भुत वास्तु वाले मंदिर बनाए हैं.

    # तब के मद्रास के जिला कलेक्टर ए.ओ.ह्युम ( जी हाँ, वही कांग्रेस संस्थापक) ने लिखित आदेश निकालकर पेरियार वास्तुकारों पर रोक लगा दी थी कि वे मंदिर निर्माण नहीं कर सकते. इस आदेश को कानून बना दिया था.

    # ये नाई सर्जन या वैद्य कितने योग्य थे इसका अनुमान एक घटना से हो जाता है. सन १७८१ में कर्नल कूट ने हैदर अली पर आक्रमण किया और उससे हार गया . हैदर अली ने कर्नल कूट को मारने के बजाय उसकी नाक काट कर उसे भगा दिया. भागते, भटकते कूट बेलगाँव नामक स्थान पर पहुंचा तो एक नाई सर्जन को उसपर दया आगई. उसने कूट की नई नाक कुछ ही दिनों में बनादी. हैरान हुआ कर्नल कूट ब्रिटिश पार्लियामेंट में गया और उसने सबने अपनी नाक दिखा कर बताया कि मेरी कटी नाक किस प्रकार एक भारतीय सर्जन ने बनाई है. नाक कटने का कोई निशान तक नहीं बचा था. उस समय तक दुनिया को प्लास्टिक सर्जरी की कोई जानकारी नहीं थी. तब इंग्लॅण्ड के चकित्सक उसी भारतीय सर्जन के पास आये और उससे शल्य चिकित्सा, प्लास्टिक सर्जरी सीखी. उसके बाद उन अंग्रेजों के द्वारा यूरोप में यह प्लास्टिक सर्जरी पहुंची.

    ### अब ज़रा सोचें कि भारत में आज से केवल १७५ साल पहले तक तो कोई जातिवाद याने छुआ-छूत नहीं थी. कार्य विभाजन, कला-कौशल की वृद्धी, समृद्धी के लिए जातियां तो ज़रूर थीं पर जातियों के नाम पर ये घृणा, विद्वेष, अमानवीय व्यवहार नहीं था. फिर ये कुरीति कब और किसके द्वारा और क्यों प्रचलित कीगई ? हज़ारों साल में जो नहीं था वह कैसे होगया? अपने देश-समाज की रक्षा व सम्मान के लिए इस पर खोज, शोध करने की ज़रूरत है. यह अमानवीय व्यवहार बंद होना ही चाहिए और इसे प्रचलित करने वालों के चेहरों से नकाब हमें हटनी चाहिए. साथ ही बंद होना चाहिए ये भारत को चुन-चुन कर लांछित करने के, हीनता बोध जगाने के सुनियोजित प्रयास. हमें अपनी कमियों के साथ-साथ गुणों का भी तो स्मरण करते रहना चाहिए जिससे समाज हीन ग्रंथी का शिकार न बन जाये. यही तो करना चाह रहे हैं हमारे चहने वाले, हमें कजोर बनाने वाले. उनकी चाल सफ़ल करने में‚ सहयोग करना है या उन्हें विफ़ल बनाना है? ये ध्यान रहे!

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  13. ही ही ही ही

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  14. ज़रा बहन जी का खाता भी चेक करके बता देते तो पोस्ट में चार चाँद लग जाते

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  15. ज़रा बहन जी का खाता भी चेक करके बता देते तो पोस्ट में चार चाँद लग जाते

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  16. ज़रा बहन जी का खाता भी चेक करके बता देते तो पोस्ट में चार चाँद लग जाते

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  17. ज़रा बहन जी का खाता भी चेक करके बता देते तो पोस्ट में चार चाँद लग जाते

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  18. ज़रा बहन जी का खाता भी चेक करके बता देते तो पोस्ट में चार चाँद लग जाते

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  19. सिंहासन सोने का नहीं है. सोने की पोलिश किया हुआ है.

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  20. जातियां अपनी उत्कृष्टता बोध का अहसास करती रहती हैं -

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  21. पुरबिया जी ! डा. अशोक सिंघल कहते हैं कि छुआछूत मुगलों ने चलाई , झूठ तभी सच लगता है जबकि सभी एकराय होकर बोलें ।

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  22. पुरबिया जी ! डा. अशोक सिंघल कहते हैं कि छुआछूत मुगलों ने चलाई , झूठ तभी सच लगता है जबकि सभी एकराय होकर बोलें ।

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  23. पुरबिया जी ! कह दीजिये कि असली वेद और स्मृतियां तो सिकंदर ले गया था अपने साथ , ये घटिया वाले औरंगजेब ने लिखवाकर पंडितों को उन्हें मानने के लिये मजबूर किया । रामचन्दर को पहले ही ज्ञात था ...

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  24. रामचन्दर को पहले ही ज्ञात था सो मुगलकालीन घटिया हिन्दू परंपरा की रक्षा करते हुए ...

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  25. रामचन्दर को पहले ही ज्ञात था सो मुगलकालीन घटिया हिन्दू परंपरा की रक्षा करते हुए ...

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  26. रामचन्दर को पहले ही ज्ञात था सो मुगलकालीन घटिया हिन्दू परंपरा की रक्षा करते हुए एडवाँस में ही शंबूक की गर्दन उड़ा दी ?

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  27. एडवाँस में ही शंबूक की गर्दन उड़ा दी ? त्रेतायुग में ही ? धन्य है ऐसा पूर्वज्ञान , धन्य है अत्याचारी हिन्दू महान ।

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  28. अरविन्द मिश्रा जी ! आपको उत्कृष्टता का बोध कराती है , हमें तो जाति जिल्लत का अहसास कराती है ।

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  29. निशांत मिश्र जी ! इस भव्य आयोजन में खर्च होने वाले नोटों को भी जाली बता दीजिये न , प्लीज !

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  30. एक दलित की पोस्ट पर तीन तीन मिश्रा ? इट मीन्स हड़कंप ज्यादा ही मचा हुआ है ब्राहमण समाज में ?

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  32. हिन्दू विदेशी हैँ । Egypt मिश्र से आये हैं , मिश्रा विदेशी हैं ! निकालो इन विदेशियों को बाहर ।

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  35. Kaun hai be kamina jo hindu dharam ko badnam kar raha hai samne aa

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  36. साले तू बसपा का एजेंट है साले तू बसपा का एजेंट हैसाले तू बसपा का एजेंट है साले तू बसपा का एजेंट है साले तू बसपा का एजेंट है

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  37. सुरेश जी ,आप क्यों इस सड़कछाप ब्लॉगर के ब्लॉग पर आ रहे हैं, आपके आने से हमें भी आना पड़ता है इसकी चड्डी उतारने ,इसे हिंदू धर्म के विरुद्ध बीट करने दें ,हम भी देखते हैं की क्या उखाड लेता है ये हरामजादा

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  38. साले जिस किताब से यह खामकां की बाते लाये हो पंजाब में कहां मिलेगी हिन्दू विदेशी हैं किताब का लेखक एस.एल.सागर जरूर बसपा का एजेंट होगा

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  39. बेटे सत्य गौतम ज़रा इधर भी नज़र मार ले

    http://sumahu.blog.co.in/files/2010/03/mayawati_with_rupee_garland1.jpg

    http://1.bp.blogspot.com/_AUe0oi3jIxo/S5TsmPBejhI/AAAAAAAAPTU/cIlXeYSmssA/s400/mayawati+outlookindia.com.jpg

    http://4.bp.blogspot.com/_80LrAIuAI2s/Se4eZ23IxtI/AAAAAAAACxM/XAIOk0gbXWE/s320/mayawati.jpg

    http://2.bp.blogspot.com/_-RqIlDQ9Low/RlA1nYhGYnI/AAAAAAAAAEM/bVr6RVI7_is/s320/mayawati.jpg

    इन पर भी पोस्ट लिख डाल

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  40. हा हा हा ..................बेचारे सत्य गौतम की फट गई सुरेश जी के डर से ................ही ही ही

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  42. anonymous भाई , हर कुत्ते का दिन आता है ,इस सत्य गौतम नाम कुत्ते का दिन भी जल्दी ही आने वाला है

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  43. anonymous भाई , हर कुत्ते का दिन आता है ,इस सत्य गौतम नाम के कुत्ते का भी आने वाला है जल्दी ही

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  44. एक तरफ दलित मासूम बच्चों को 40-40 रूपये में पेट की खातिर बाजार में बेच देते हैं

    भई वाह !! माँ-बाप हों तो ऐसे ,कितना अच्छा फ़र्ज़ निभाते हैं माँ-बाप होने का ,भगवान सबको ऐसे माँ-बाप दे

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  45. सही कहा है आप ने

    शेखर कुमावत

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  46. Dosto Ye Kya horela hai aapas me hi kyo Ladrele ho Bhai

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  48. एक बार फिर दुनिया को पता चल गया ब्लॉग से कि दलित को सवर्ण जाती वालो ने हमेशा दबा कर रखा यहाँ तक कि अपना दुख बताने पर भी इतने कष्ट दिए जाते रहे कि वो अपना दर्द किसी को भी नही बताए

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  49. दलित को कुत्ता ही कहा जाता रहा सेकड़ो सालो से और कुत्ते से भी बुरा जीवन जीने पर मज़बूर किया जाता रहा और आज भी कुत्ता ही कह रहे है

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  52. @चिपलूनकर जी! मैं आपसे डरकर नहीं बल्कि निराश होकर आपके कमेंट डिलीट कर रहा हूं। आपका संबंध शिवसेना से है और शिवसेना बनी है शिवाजी के नाम पर। शिवाजी एक शूद्र थे जिन्होंने अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई। ब्राहमणों ने उनका साथ न दिया और उन्हें अपमानित किया। यह सब आप जानते ही होंगे। सब कुछ जानकर भी ब्राहमणों के पांव में आप शीश क्यों टिका रहे हैं ?
    मैं जिहादी नहीं हूं इस संबंध में एक पूरी पोस्ट लिखकर पहले ही स्थिति साफ कर चुका हूं। मुझे लोग कुत्ता कह रहे हैं परंतु मैंने किसी को पलटकर अब तक एक भी गाली नहीं दी , आपको भी नहीं , जबकि आपने मेरा पिछवाड़ा तार तार कर देने जैसी घटिया गाली भी दी है। ऐसे कैसे दूर होंगी दूरियां और कैसे बनेगा समरस समाज ?

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  53. ...रही बात इस देश की मिट्टी से कटे होने की तो आर्य विदेशी हैं, तिब्बत , ईरान या ध्रुव प्रदेश से आये हैं। वे कटे हुए हैं इस देश की मिट्टी से। द्रविड़ ही इस देश के मूल निवासी हैं। इस देश के मूल वासी को ही आप ‘‘मिट्टी से कटा‘‘ मात्र इस कारण से नहीं कह सकते कि उसने देश की गरीबी के असल जिम्मेदार मंदिरबाजों पर अंगुली क्यों उठा दी ?

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  54. अनामिका जी , आपका धन्यवाद।

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  55. सुरेश की ब्लोगीरि दुकानदारी आजकल मंदी चल रही है और उस पर ताले लगने के दिन आ गये तो ये ओछी हरकत पर उतार आया गंदे गंदे शब्दो का प्रयोग तो पहेले से अपने ब्लॉग पर करता रहा है जैसे "अगड़ा पिच्छवाड़ा" अब तो सरेआम गालियाँ देने लगा है एसी नीच सोच और गंदे शब्दो से ये समाज को क्या दिशा दिखाएँगे ? जो स्वयं भटके हुए लोगो मे से है जिन्हे रास्ता दिखाने वाले की ज़रूरत है, सुरेश अगर शर्म है तो चुल्लू भर पानी मे डूबकर मार जा क्योकि भारत के समाज की असली गंदगी तेरे जैसे लोग और तेरी जैसी सोच वाले लोग है ! जिस दिन तेरे जैसे लोग और तेरी जैसी सोच वाले लोग भारत से मिट जाएँगे उस दिन भारत का कल्याण हो जाएगा !

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  56. आप जो कह रहे हैं वह विचारणीय है.आपको अपनी बात कहने का पूरा हक़ है.

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  58. इधर एक बेनामी भी टर्र-टर्र कर रहा है (या शायद तुम ही बेनामी बनकर कमेण्ट कर रहे होगे, क्योंकि ऐसी तुम्हारी आदत है), उस बेचारे बेनामी को पता ही नहीं होगा कि मेरी तो ब्लॉगिरी की दुकान जोरशोर से चल रही है, और मेरे 750 से ऊपर तो सब्स्क्राइबर ही हैं…। :) :)

    तुझे और बेनामी को वहाँ तक पहुँचने और कुछ सार्थक लिखने के लिये अभी अगला जन्म लेना पड़ेगा… :) :) :)

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  59. सार्थक बहस, दूरियाँ मिटाना, समरसता बनाना जैसी बातें तो तभी हो सकती हैं जब कोई सामने आकर बहस करे…। अपना सच्चा प्रोफ़ाइल उजागर करो, तुम कौन हो बताओ, तब तो कोई दूरियाँ मिटायें…

    वरना तुम बुर्के में बैठे रहो, तो कैसे समरसता बनेगी भाई… (या बहन?, या…?) :) :)

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  60. @सुरेश जी

    हम सबं आपके साथ है , कृपया इसकी सच्चाई खोलती हुई एक पोस्ट लिखें अपने ब्लॉग पर क्योंकि यहाँ पर तो इसका पर्दाफाश होने के डर से ये आपके कमेंट्स डिलीट कर रहा है

    अगर ये सौ जन्म भी ले ले तो भी वहाँ तक नहीं पहुच सकता जहाँ अपने सार्थक लेखन की वजह से आज आप हैं

    और ये टर्र टर्र करने वाला बेनामी कोई और नहीं ये खुद ही है

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  61. और ये सार्थक बहस, दूरियाँ मिटाना, समरसता बनाना जैसी बातें सिर्फ इसकी एक चाल है जिससे की आप इसकी पोल खोलना बंद कर दें

    मैंने भी इसे बिना अपशब्दों का प्रयोग किये और जातिवाद का ज़हर घोले शालीनतापूर्वक अपनी समस्याएं रखने का निवेदन किया था लेकिन ये नहीं माना

    इसलिए सुरेश जी आपसे प्रार्थना है की इसकी चाल में ना फंसें

    महक

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  62. हमारे देश में 10 लाख मंदिर हैं। उनमें अरबों खरबों का सोना चांदी, हीरे मोती और भूमि आदि खराब पड़ी सड़ रही है। संत माया को छोड़ना सिखाते हैं , नर में नारायण देखना बताते हैं, इसलिये सबसे पहले मंदिरों का सोना सम्पत्ति गरीबों में बांट देनी चाहिये। बाबरी मस्जिद अब दोबारा वहां बनेगी नहीं और ज्यादा रौला मचाओगे तो दूसरी बनी हुई भी तोड़ दी जायेंगी। मुसलमान जिनसे उलझ रहे हैं वे पूरी हड़प्पा सभ्यता को नष्ट करके द्रविड़ों को ऐसा दास बनाकर सदियों रख चुके हैं कि वे अपनी ब्राहुई भाषा तक भूल चुके हैं। हम अतीत के दलित हैं और मुसलमान वर्तमान के । दोनों एकसाथ हैं इसीलिये आज एक दलित सी. एम. है। न्याय के लिये समान बिन्दुओं पर सहमति समय की मांग है। अगर आपके लीडर दगाबाज हैं तो हमारे लीडर को आजमाने में क्या हर्ज है ?
    समय कठिन है एक गलत ‘न‘ पूरा भविष्य चैपट कर सकती है। एक दुखी ही दूसरे दुखी का दर्द समझ सकता है। हमें मंदिर मस्जिद से जो न मिला वह हमें बाबा साहब के संघर्ष से मिला इसलिये सारे मुद्दे फिजूल लगते हैं केवल बाबा साहब का आह्वान में दम लगता है।
    http://haqnama.blogspot.com/2010/07/babri-masjid-sharif-khan.html

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  63. आप से आनंद विहार अड्डे पर पत्रिका लेते समय मिला था। मेरे लैपटॉप को देखकर आपने मुझे अपने ब्लॉग का पता दिया था। वह पर्चा तो कहीं खो गया था परंतु आपके नाम को टाइप करके कई बार देखा।
    आपका ब्लॉग नहीं दिखा। कल किसी अन्य के ब्लॉग पर चिठ्ठाजगत का लोगो देखकर उसपर क्लिक किया तो शंकराचार्य और सोने के सिंहासन की बात देखकर उत्सुक हुआ और उसे देखा तो वहां आपका ब्लॉग मिला। उसपर तो घमासान मचा पड़ा है और आप अकेले ही खड़े हैं। आपने बताया था कि समाज के काफी लोग ब्लॉग लिखते हैं, उनमें से वहां तो कोई भी न मिला।
    आपकी स्थिति देखकर पुरानी आई डी से कमेंट करना ठीक न लगा। सो आज नई आई डी बनाई, नया ब्लॉग बनाया और पहली पोस्ट भी आपकी ही रख दी। धीरे धीरे अपनी कम्यूनिटी के दूसरे सदस्यों को आपके ब्लॉग से परिचित करा दूंगा। तब आप अकेले नहीं रहेंगे।
    वैसे एक बार मैं आपकी एजेंसी पर खजूरी गया था , मात्र याद के सहारे , जो आपने बताया था और मैं पहुंच भी गया था परंतु आप लंच के लिये गये हुए थे। जो फोन नं. आपने दिया था वह बंद मिलता है।
    अपनी ई मेल एड्रेस सैंड करने की कृपा करें। अपना हौसला बनाए रखें। टिप्पणी कर्ताओं को मैं जानता नहीं परंतु ये हठधरम हैं, ऐसा लगता है, उधर कम्यूनिटी में भी ऐसे बहुत से लोग आते रहते हैं। इनका हित इसी में है सो ये ऐसा करते हैं वर्ना जुल्म को जुल्म ये भी मानते हैं बस एक बार इनके साथ घटित हो जाए । सुविधानुसार आदमी विचार बदलता है। विचार तो वैसे ही अस्थिर होते हैं। आप अपनी जगह स्थिर रहें , बस। ऐसी मैं आपके लिए ‘विश‘ करता हूं।

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  64. सत्य सर जी ! मैं चिठ्ठाजगत पर लिंक नहीं हो पा रहा हूं , कैसे हो ? कृपया बताएं।

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  65. आप चिठ्ठा जगत में कोने में स्टेप बाइ स्टेप लिखा हुआ देखेंगे , उस पर चटका लगाएं और जो निर्देश मिलें उनका अनुसरण करें, चिठ्ठा जुड़ जाएगा , सरल है। फिर भी दिक्कत आए तो फोन पर पता कर लेना। नम्बर और ई पता आपको अपने ईखाते में पड़ा मिलेगा। आपके आने से कुछ तो होगा।
    Something is better than nothing .

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  66. dhanyavaad satay gautam ji itna sargarbhit lekh likhne ke liye.khub sach kaha hai aapne,aankhe khol di is lekh ne tabhi to kuchh ghatiya soch vale log apna sir pit rahe hai.

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  67. टर्र टर्र करने वाले मेढको
    ध्यान से सुन लो एक बात.
    ये सत्य गौतम का ब्लाग है . उसका जो मन चाहेगा वो लिखेगा .
    वैसे भी वो जो लिख रहा है वो सत्य है. जो दलितो के साथ अत्याचार हुआ है. वो उसी का बखान कर रहा है.

    फिर भी इन सबको पढ़कर किसी के पिछवाड़े मे दर्द हो रहा हो.

    तो वो अपना सड़ा हुआ पिछवाड़ा यहाँ मत लाये.

    लेकिन यहाँ आकर अगर बदबु फैलाने की कोशिश की. या सत्य गौतम को कमजोर समझ कर गरियाने की कोशिश की. तो एक एक की फाड़ दूंगा.

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  68. और सत्य गौतम
    तुम अपने आप को अकेला और कमजोर न समझना.
    तुमको यहाँ पर जिसने भी कुत्ता या और भी गालिँयाँ दी है
    वो सब साले खुद गंदी नाली की पैदाइश है.और इस धरती के बोझ है.
    उनका जन्म केवल अपनी माँ को प्रसव का कष्ट देने के लिये हुआ है.

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  69. हा हा हा हा हा हा हा…
    दो-चार फ़र्जी मिलकर आपस में ही बतिया रहे हैं,

    1) सत्य गौतम - कोई नाम-पता-फ़ोटो-ईमेल-फ़ोन नम्बर कुछ भी नहीं
    2) काले शूद्र - सिर्फ़ ईमेल पता, कोई फ़ोटो-नाम-पता नहीं
    3) राहुल - प्रोफ़ाइल का दरवाजा ही बन्द…

    अब भला बताईये कोई कैसे इनसे संवाद स्थापित करे?

    वैसे सत्य गौतम अंकल, प्लीज़ मुझे अपना फ़ोन नम्बर और पते सहित फ़ोटो भेजिये ना, आपसे बहुत कुछ सीखना भी है मुझे… और कई मुद्दों पर विचार-विमर्श भी करना है।

    राहुल भाई, कृपया अपना सही नाम-पता और ईमेल आईडी तो भेजिये… और प्रोफ़ाइल का दरवाजा भी खोलिये… शरमाना कैसा?

    यदि हम सब भारत की भलाई और समाज के हित के लिये ही विचार-विमर्श करना चाहते हैं, तो यह "बुरका" क्यों ओढ़ा जाये? :) :)

    (स्क्रीन शॉट सुरक्षित) :)

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  70. सुरेश जी , राहुल भाई शर्मायेगा नहीं तो और क्या करेगा ,बेचारे की पहले से ही फटी हुई है ,उसे सुई-धागे से सीने में लगा है............ही ही ही

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  71. हा हा हा ...............हमारे बेचारे सत्य गौतम महाराज जी इतने परेशान हैं की अब फर्जी ids बनाकर खुद के लिए नकली समर्थन जुटाना पड़ रहा है ,इन्हें ये नहीं पता की अगर ऐसे दस स्वयम्भू सत्य गौतम भी और आ जाएँ तो भी हिंदुत्व का एक बाल तक नहीं उखाड़ सकते

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  72. भई !! वैसे अब तो हम भी स्क्रीन शॉट वाले हो गए हैं ..........ही ही ही

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  73. अबे सुअर के फटेले बदबुदार महक
    लगता है गली के कुत्तो ने मिलकर तेरी फाड़ी है. तभी तू अपनी फटी हुयी लेकर मारा मारा फिर रहा है.
    लेकिन तुझे इतने फटने के बाद भी चैन नही.
    क्यो कि तुझे तो सत्य गौतम से फड़वाने मे ज्यादा मजा आती है.

    अरे सत्य गौतम
    इस बदबुदार महक की ये इच्छा जल्दी पूरी करो.

    ये नंगा तो पहले ही हो चुका है
    बदबुदार दस्त भी कर रहा है
    गली के कुत्तो ने मिलकर इसकी फाड़ भी दी है.

    बेचारा चढढी छाप अपनी फटी हुयी लेकर दर दर भटक रहा है और भीख मांग रहा है और कह रहा
    है

    कोई मेरी सिल दो. चल जा अपने ब्लाग पर सिलवा जाके.

    यहाँ अपनी बदबुदार महक न छोड़.

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  74. उफ्फ
    कितनी गंदी बदबु छोड़ रहा है ये बदबुदार महक.

    अरे
    सत्य गौतम

    शद्ध इत्र का छिड़काव कराओ.

    नही तो एक और भोपाल गैस कांड हो जायेगा.
    ही ही ही ही ही ही

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  75. अभी पता चला कि इस बदबुदार महक की इसके गली मे रहने वाले लोगो ने और इसके गली के कुत्तो ने मिलकर क्यो फाड़ दी ?

    क्यो कि ये वहाँ अपनी पकाऊ और सड़ी हुयी बातो से सबको पका रहा था.

    और पकाने के बाद इसने अपनी सड़ी हुयी बदबु भी छोड़ दी.

    जिससे वहाँ के लोगो ने और गली के कुत्तो ने सबने मिलकर इसकी फाड़ के चूर चूर कर दी. और इसके पिछवाड़े मे लात मारकर गली से भगा दिया.

    तब से ये बेचारा अपनी फटी हुयी लेकर दर दर की ठोकरे खा रहा है.

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  76. हा हा हा ............राहुल उर्फ़ सत्य गौतम जी का पालतू कुत्ता अब रोने लगा है ,
    लगता है मिर्ची लग गयी , ही ही ही ..................

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  77. आ गया बदबुदार महक नाम का कुत्ता अपनी बदबु फैलाने और सत्य गौतम से अपनी फटवाने को.

    जगह जगह दस्त करता फिर रहा है.

    पहले जरा मास्क पहन लूँ फिर बात करुँ

    उफ कितनी सड़ांध मार रहा है.

    अरे सत्य गौतम
    ये
    गली के कुत्तो से अपनी फटवा के आ रहा है

    लेकिन इसको अभी मुक्ति नही मिली है

    इसको मुक्ती तब मिलेगी जब तुम इसकी फाड़ दोगेँ.

    इसलिये तुम अब इसकी फाड़ ही दोँ. और इस खुजली वाले बदबुदार कुत्ते को मुक्ति प्रदान करो.

    नही तो ये इसी तरह अपनी बदबु फैलाता हुआ भटकता रहेगा.

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  78. ही ही हे हे हो हो

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  79. हा हा हा ..................राहुल उर्फ पालतू कुत्ता भो-भो कर रहा है ,लगता है बेचारे को भूख लगी है, यार सत्य गौतम तुम इसे रोटी डालते हो की नहीं ?

    और हाँ इसके पिछवाड़े में पानी भी याद से डाल देना, बेचारे को मिर्ची जो लगी हुई है ................ही ही ही

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  80. हा हा हा हा हा हा हा… भाई महक जी, मेरी तो हँसी रुक ही नहीं रही…

    मैंने एक सादा सा सवाल पूछा, कि भाई अपना नाम-पता-फ़ोटो-फ़ोन नम्बर दो, ताकि आपसे और अधिक ज्ञान प्राप्त कर सकूं, तो ये गालीगलौज पर उतर आये… :) :)

    ह्म्म्म……… होता है, होता है ऐसा, खासकर जब "चोट" किसी खास जगह पर लगी हो और किसी को दिखाते न बने… :) :)
    -----------
    गौतम अंकल, गौतम अंकल… देखिये आपका चेला राहुल कैसी गन्दी-गन्दी बात कर रहा है, आप अपना फ़ोन नम्बर या मेल आईडी दीजिये ताकि मैं आपसे लखनऊ में आकर मिल सकूं… :):) आप तो इतने ज्ञानी हैं कि अपना पता और फ़ोटो तो भिजवा ही देंगे… है ना… :)

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  81. हा हा हा हा हा हा हा

    बेचारा महक नाम का बदबुदार कुत्ता
    कितना फड़फड़ा रहा है.
    जैसे बिन पानी के मछली.

    सत्य गौतम
    मैने तुमसे कल कहा था. कि भले ही इस बदबुदार कुत्ते महक की कल लाखो लोगो ने, और इसकी गली के कुत्तो ने फाड़ फाड़ के चूर कर दी हो.

    लेकिन ये जब तक तुमसे नही फड़वायेगा तब तक इसे मुक्ति नही मिलेगी

    अब देखो ये बदबुदार कुत्ता बार बार अपनी फटी हुयी लेकर इस उम्मीद से तुम्हारे ब्लाग पर आता है
    कि तुम इसकी फाड़ कर इसको मुक्ति प्रदान करोगे

    लेकिन तुम इसको तड़पा रहे हो.
    अरे भाई अब इसको मुक्ति दे दो.

    मुझसे इसका फड़फड़ाना देखा नही जाता

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  82. ही ही ही ही ही ही
    बेचारा बदबुदार महक कुत्ता
    ये तो ऐसे फड़फड़ा रहा है
    जैसे किसी ने इसका पिछवाड़ा काट कर लाल मिर्च के तालाब मे फेक दिया हो.

    हा हा हा
    राहुल खुश हुआ.

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  83. सुरेश जी , राहुल उर्फ सत्य गौतम जी का पालतू कुत्ता अगर अपनी चोट आपको या मुझे ना दिखाना चाहे तब तो समझ में आता है लेकिन अपने मालिक से कैसी शर्म
    ओह !! समझा बेचारा बताए भी तो कैसे ,सिर्फ भो-भो ही तो कर सकता है ,आपकी और मेरी तरह इंसानी भाषा थोड़े बोल सकता है

    प्यारे dogy राहुल, अच्छे dogy

    अगर स्वयं भू सत्य गौतम अंकल तुम्हारा ठीक से ध्यान नहीं रख रहें हैं तो तुम मेरे पास आ सकते हो ,वो जितनी रोटियां तुम्हे जातिवाद और नफरत का ज़हर फैलाने के लिए डाल रहे हैं उससे दुगनी मैं तुम्हे एकता और प्रेम का अम्रत फैलाने के लिए डालूँगा

    भई कुत्तों में जात-पात थोड़े ही होती है ,अरे हाँ नस्ल होती है लेकिन कोई बात नहीं ,

    और हाँ तुम्हारे पिछवाड़े पर पानी डाला की नहीं सत्य गौतम जी ने ?...............ही ही ही

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  84. देखा सत्य गौतम

    इस महक नाम के बदबुदार कुत्ते की कितनी भयंकर फटी है
    कि अंदर तक तिलमिला गया है

    और दर्द से कराह रहा है
    ऐसा ही होता है
    ऐसे बदबुदार कुत्ते का ऐसा ही हाल होना चाहिये.
    अब ये महक कुत्ता ऐसे ही चिल्ला चिल्ला के ढेर हो जायेगा

    हा हा हा

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  85. यार !! कोई तो राहुल कुत्ते के पिछवाड़े पर पानी डाल दो ,बेचारा मिर्ची घुसने से हुई जलन से अभी तक तड़प रहा है और किसी को अपनी पीड़ा बता भी नहीं पा रहा है ( कुत्ता जो ठहरा )

    क्या ? मुझे उसकी पीड़ा का कैसे पता ?

    अरे यार !! उसके पिछवाड़े में मिर्ची डालने वाला मैं ही तो हूँ ,अगर मुझे नहीं पता होगा तो किसे पता होगा भई ...............ही ही ही

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  86. हा हा हा हा हा हा हा
    मजा आ गया
    महक कुत्ते
    साले और तड़प और फड़फड़ा.
    तू इसी के लायक है

    और ये महक कुत्ता आखिर इतना फड़फड़ाये भी क्यो नही.

    इसका पिछवाड़ा तो मैने काट के लाल मिर्च के तालाब मे फेक दिया है
    अब ये कहाँ से क्या करे.
    ऊपर से ही खा रहा है और ऊपर से ही निकाल रहा है.
    साला बदबुदार बहुत बदबु फैला रहा था .

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  87. rahul said...

    हा हा हा हा हा हा हा
    मजा आ गया



    बेटा मज़ा तो आएगा ही तेरे पिछवाड़े पे पानी जो डल चुका है ........ही ही ही

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  88. देखो इस महक कुत्ते की हालत कैसी हो गयी है. बिल्कुल मरेला और अधमरा हो गया है. लोगो ने इस महक कुत्ते के साथ कितने जुल्म किये है.बेचारा बदबुदार महक कुत्ता न खा पा रहा है न निकाल पा रहा है. भरी जवानी मे ये महक कुत्ता इतना कष्ट झेल रहा है.पर क्या किया जाये. इस खजैले कुत्ते महक के कर्म ही ऐसे है.
    ही ही हो हो

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  89. क्या कहा !!!!! किसी ने फिर से राहुल कुत्ते के पिछवाड़े में मिर्च डाल दी ,
    अरे रे रे रे ! ये तो बहुत बुरा हुआ ,बेचारे का पहले ही लाल हो गया था ,कहीं अब की बार ...................ओह नहीं

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  90. बदबुदार महक कुत्ता कह रहा है. कि उसके पिछवाड़े मे मिर्ची पड़ गई. अबे महक कुत्ते तेरा पिछवाड़ा तो मै पहले ही काट चुका हूँ.
    अब तू जिसे अपना पिछवाड़ा कह रहा है वो तो तेरा सड़ा हुआ मुँह है."
    अब तो तेरा मुहँ ही तेरा पिछवाड़ा है क्यो कि तू वही से खा रहा है और वही से निकाल रहा है. तो अब तेरे मुहँ वाले पिछवाड़े मे क्या क्या पड़ेगा. अब वो तू समझ ले

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  91. हा हा हा हा हा हा

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  92. बड़े ही दुःख के साथ आप सबको सूचित करना पड़ रहा है की हमारे पालतू कुत्ते राहुल.............. हाँ वहीँ जो बात-२ पर भो-भो करता था

    पालतू कुत्ते राहुल .............हाँ हाँ वही जिसके पिछवाड़े में मैंने मिर्च घुसा दी थी

    पालतू कुत्ता राहुल.............अरे कितनी बार बताऊँ भई ,हाँ वही जिसे की मिर्ची प्रकरण की वजह से बुरी तरह से दस्त लग गए थे

    अब तो समझ गए

    हाँ तो मैं कह रहा था की हम सबके प्रिये पालतू कुत्ते राहुल का आज निधन हो गया है ,
    क्या कहा ,यकीन नहीं हो रहा ,तो आप एक काम करिये उसके प्रोफाइल पर क्लिक करिये ,वहाँ पर लिखा आ जाएगा की राहुल कुत्ता ब्लॉग जगत में अब नहीं मिल पा रहा है

    अब तो मान गए आप ,तो चलिए उसके निधन पर अब हम सब २ मिनट का मौन रखेंगे और उसके बाद उसके साथी कुत्तों को 2-2 मिर्ची उसके आखिरी पलों की यादगार के तौर पर बांटी जायेंगी ताकि उन्हें भी पता लग जाए की उनका बेचारा साथी कुत्ता कैसे तड़प-तड़प के और उछल-उछल के इस दुनिया से अलविदा हुआ है ..........ही ही ही

    ओह सॉरी ,इस दुखद मौके पे मुझे हंसना नहीं चाहिए ,ईश्वर उसकी आत्मा को शान्ति दे और साथ ही उसके पिछवाड़े को भी ....................ही ही ही ही ही ही

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  93. हा हा हा हा हा हा हा
    साला फटेला ,मरेला बदबुदार कुत्ता महक अब इतनी जोर जोर से रो रहा है.
    क्यो कि अभी मैने इसके सड़े हुये बदबुदार पिछवाड़े मे गरम सरिया घुसेड़ कर घुमा दी है.पहले तो ये अधमरा था.अब ये बदबुदार कुत्ता महक पूरा मरने के करीब आ गया है.और जोर जोर से रोने लगा है.
    तो भाईयो अगर आप सबको रात मे इस बदबुदार महक कुत्ते के जोर से रोने से डिस्टर्ब हो रहा हो तो थोड़ा झेल जाइये .क्यो कि अब इसका अंतिम समय हैँ और अंतिम समय मे हमे इस बदबुदार कुत्ते महक की इच्छा पूरी करनी होगी
    ही ही ही ही ही

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  94. अरे सत्य गौतम
    ये बदबुदार कुत्ता महक "जिसकी मैने आगे पीछे ऊपर नीचे हर जगह से फाड़ दी है"
    अब मरने वाला है.
    इसलिये तुम भी अब इस बदबुदार कुत्ते महक की फाड़ कर इसकी अंतिम इच्छा पूरी कर दो .कही ऐसा न हो कि ये बदबुदार कुत्ता महक अपनी तुमसे फटवाने की इच्छा को मन मे दबाये ही नर्क मे चला जाये
    ही ही ही

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  95. हा हा हा ..............बेचारे राहुल कुत्ते के पास अब कोई आईडिया ही नहीं बचा है ,मेरी नकल कर रहा है और बेचारे को अपने मालिक से मदद की गुहार लगानी पड़ रही है...........हा हा हा ..............यार सत्य गौतम इसकी अंतिम इच्छा पूरी कर ही दो .........बेचारा तुम्हारी खातिर अपने पिछवाड़े पे गोली खाके शहीद हुआ है ,अगर इसकी इच्छा पूरी नहीं करोगे तो आपके इस पालतू कुत्ते राहुल की आत्मा ऐसे ही भटकती रहेगी और ऐसे ही भो-भो और कूं-कूं करती रहेगी

    और हाँ इसके पिछवाड़े पे याद से पानी भी डाल देना शायद इसमें फिर से जान आ जाए ................ही ही ही

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  96. हा हा हा हा हा हा
    बदबुदार महक कुत्ता कितना डर गया है.
    और आखिर ये महक कुत्ता डरे भी क्यो नही.
    जब इसकी इतने लोगो ने फाड़ी हो
    मैने तो इसका पिछवाड़ा ही काट के मिर्च के तालाब मे फेक दिया.
    बेचारा महक कुत्ता किसी तरह अपना कटा हुआ पिछवाड़ा गोंद से जोड़ ही रहा था. कि फिर मैने इसके पिछवाड़े मे गरम सरिया घुसेड़ के घुमा दी.
    अब कोई बताये कि इस बदबुदार कुत्ते महक के पिछवाड़े मे मैने इतने जुल्म ढाये हो तो ये साला आखिर चीखेगा चिल्लायेगा क्यो नहीँ.
    अब इस बदबुदार कुत्ते महक का दर्द से चीखने और रोने का तो हक बनता ही है.
    ही ही ही ही ही ही

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  97. राहुल कुत्ते को अपने पिछवाड़े में मिर्च घुसाने की बीमारी तो पहले से ही थी अब बेचारे को नक़ल करने की भी बीमारी लग गई

    च च च च च च

    बेचारा राहुल कुत्ता

    भगवान उसके पिछवाड़े को शान्ति दे

    अरे !! लेकिन अभी पानी कहाँ डला है उसके पिछवाड़े पर ? शान्ति तो तब मिलेगी ना जब पानी डलेगा........ही ही ही

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  98. हा हा हा
    बदबुदार कुत्ता महक कितना बुरी तरह तड़प रहा है
    इस बदबुदार महक कुत्ते की इस फटी हुयी हालत पर एक गाना याद आ रहा है
    "ये बदबुदार महक कुत्ता इतना फड़फड़ा रहा है...
    क्या गम है जो ये छुपा रहा है"

    इसकी महक कुत्ते की फट गयी,पिछवाड़ा कट गया,और पिछवाड़े पे गरम सरिया मैने घुसेड़ी.ये गम तो इसको है ही.
    साथ मे और एक गम इस महक कुत्ते को खाये जा रहा है
    वो ये कि इस महक कुत्ते की ऐसी मरेली और फटेली हालत हो गयी है कि कोई कुतिया इस बदबुदार महक कुत्ते को भाव ही नही दे रही है
    बेचारा भरी जवानी मे इस महक कुत्ते को कितना कष्ट मिल रहा है
    तभी साला इतना फड़फड़ा रहा है
    ही ही ही

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  99. चिँता मत कर बदबुदार कुत्ते महक.
    मै तेरे लिये तेरी ही जैसी बदबुदार और फटेली कुत्तिया का इंतजाम करता हूँ
    तेरी अंतिम इच्छा तो पूरी करनी ही पड़ेगी.
    ही ही ही

    ReplyDelete
  100. क्या कहा !!!!! राहुल कुत्ते को उसके मालिक ने गोली मार दी और वो भी उसके पिछवाड़े पर

    लेकिन क्यों ?

    अच्छा ,हाँ बात तो ठीक है ,कुत्ता जब पागल हो जाता है तो उसे गोली मार दी जाती है
    लेकिन यार !! उसके पिछवाड़े पर नहीं मारनी थी, बेचारे के पिछवाड़े में पहले से ही २-२ मिर्चें घुसी हुई थी और अब गोली भी ,so sad

    क्या कहा ,वो कैसे ,अरे भई वो मिर्चें घुसाने वाला मैं ही तो हूँ , हाँ बहुत भो-भो कर रहा था मुझे मजबूरन घुसानी पड़ी उसके पिछवाड़े में ,घुसाते ही भो-भो से कूं-कूं करने लगा............ही ही ही , हाँ सही कहा मतलब रोने लगा

    लेकिन यार ! अब बेचारे की हालत कैसी है ,बच गया या उसकी फट गई ?

    अच्छा अंतिम सासें गिन रहा है बेड पे ,ok ok, so sad

    अरे हाँ यार ! डॉक्टर को एक बात और बोल देना ,उसके पिछवाड़े पे पानी ज़रूर डाल दे,बेचारा ना जाने कितने दिनों से तड़प रहा है सिर्फ एक बूँद पानी डलवाने के लिए ..............ही ही ही

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  101. हा हा हा हा हा हा
    बेचारा बदबुदार कुत्ता महक.
    जब इस फटे ले और मरेले को कोई बदबुदार कुत्तिया भी भाव नही दे रही .
    तब बेचारा कुत्ता महक कुत्तिया के सपने ही देखकर अपने मन को तसल्ली दे रहा है.
    चलो ठीक है .इस खुजैले कुत्ते महक को सपने देखने का तो हक है ही.
    ही ही ही

    ReplyDelete
  102. देखा सत्य गौतम
    मैने तुमसे पहले ही कमेँट मे कहा था.
    कि भले ही मैने और बाकि लोगो ने इस बदबुदार महक कुत्ते की बुरी तरह फाड़ दी हो लेकिन जब तक तुम इस खजैले कुत्ते महक की नही फाड़ोगे. तब तक इसे मुक्ति नही मिलेगी. अब देखो कब से बेचारा भटक रहा है.
    अरे इसकी कुत्तिया मिलने की इच्छा नही पूरी हुयी तो कम से कम इसकी ये इच्छा तो पूरी कर दो.
    शायद इस गटर के बदबुदार कुत्ते महक को मुक्ति मिल जाये
    ही ही ही

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  103. क्या बात कर रहे हो !!!!!!!!!!!!!,डॉक्टर ने ऑपरेशन के समय अपनी घड़ी, कैंची और ऑपरेशन आदि का सारा सामान घायल कुत्ते राहुल के पिछवाड़े में ही छोड़ दिया
    लेकिन यार ! सवाल ये उठता है की अब वो हगेगा कैसे ?

    क्या कहा मुंह से ही हग रहा है

    च च च च च............

    अब तो मुझे बहुत अफ़सोस हो रहा है ,ना मैं उसके पिछवाड़े में मिर्ची घुसाता ,ना वो पागल होता और ना ही उसका मालिक उसके पिछवाड़े में गोली मारता ,ना डॉक्टर उसके पिछवाड़े का ऑपरेशन करता और ना ही ..............आगे आप समझ ही गए होंगे .............ही ही ही


    वैसे अब कैसी तबियत है उसकी ,कहीं फिर से भो-भो तो नहीं कर रहा ?

    क्या कहा ,भो-भो नहीं कर रहा ,अच्छा तो फिर कूं-कूं कर रहा होगा

    क्या कहा ,वो भी नहीं कर रहा तो फिर वो अब क्या कर रहा है

    हा हा हा ..........सच में !!मतलब अब वो कुछ नहीं कर रहा उसका पिछवाड़ा कर रहा है लेकिन क्या ?

    टिक टिक टिक टिक ...............घड़ी जो रह गई है भई ...........ही ही ही

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  104. हा हा हा
    देखो बदबुदार कुत्ता महक कह रहा है
    कि उसे मुहँ से हगना पड़ रहा है.
    अबे खुजैले कुत्ते महक तुझे मुहँ से ही तो हगना पड़ेगा
    क्यो कि तेरा पिछवाड़ा तो मैने कल ही काट के मिर्च के तालाब मे फेक दिया था. और तू तो कल ही मुहँ से हग रहा था.
    ओह इसका मतलब महक कुत्ते तुझे आज पता चला कि तू जहाँ से हग रहा है वो तेरा पिछवाड़ा नही मुँह है.
    पता नही तूने मुँह को पिछवाड़ा समझ कर क्या क्या डाल लिया होगा. बेचारा
    ही ही ही

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  105. हा हा हा
    देखो बदबुदार कुत्ता महक कह रहा है
    कि उसे मुहँ से हगना पड़ रहा है.
    अबे खुजैले कुत्ते महक तुझे मुहँ से ही तो हगना पड़ेगा
    क्यो कि तेरा पिछवाड़ा तो मैने कल ही काट के मिर्च के तालाब मे फेक दिया था. और तू तो कल ही मुहँ से हग रहा था.
    ओह इसका मतलब महक कुत्ते तुझे आज पता चला कि तू जहाँ से हग रहा है वो तेरा पिछवाड़ा नही मुँह है.
    पता नही तूने मुँह को पिछवाड़ा समझ कर क्या क्या डाल लिया होगा. बेचारा
    ही ही ही

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  106. हा हा हा ...............बेचारा राहुल कुत्ता चिढ़ गया ........
    ............लेकिन पिक्चर अभी बाकी है प्यारे dogy.........
    .........ही ही ही

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  107. जो लोग सेक्स के बारे में हीन भावना के शिकार होते हैं वे अक्सर अपनी सेक्स पॉवर को बहुत बढ़ा चढ़ाकर डींगें हांकते रहते हैं परंतु आजकल युग है रिसर्च का । मराठा मर्दों के लिंग की पोल भी एक रिसर्च ने खोल कर रख दी। देखिये और फैसला कीजिये । हम चुप रहते हैं तो चुप रहते हैं परंतु जब बोलते हैं तो किसी न किसी सत्य को सामने ले आते हैं।
    भारतीय पुरूषों के पौरूष का गलत आकलन किया,
    नई दिल्ली। सुपर फ्रीकोनोमिक्स के लेखकों ने अपनी किताब में कंडोम के बारे में एक अध्याय में भारतीय पुरूषों को महत्वहीन करके आंका है, लेकिन यहां चिकित्सा अनुसंधानकर्ताओं ने इसे गलत बताया है।
    अमेरिकी अर्थशास्त्री स्टीवन डी. लेविट और पत्रकार स्टीफन जे. डबनर ने अपनी किताब में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद , आईसीएमआर, के अध्ययन से जानकारी का हवाला देते हुए लिखा है ‘60 प्रतिशत भारतीय पुरूषों के जननांग डब्ल्यूएचओ के मानकों पर निर्मित कंडोम के लिहाज़ से छोटे होते हैं।‘
    उन्होंने यह भी कहा कि वैज्ञानिकों ने दो साल में एक हज़ार से अधिक भारतीय पुरूषों के लिंगों को मापा और उनकी तस्वीरें लीं। लेकिन अब आईसीएमआर के उपमहानिदेशक डॉ. आर.एस. शर्मा ने कहा कि लेखक पूरे अनुसंधान के पहलुओं का अध्ययन किये बिना सीधे नतीजे पर पहुंच गये। उन्होंने केवल महाराष्ट्र के एक अनुसंधानकर्ता द्वारा एकत्रित छोटे से नमूने को आधार बनाया।
    दैनिक जागरण डेटिड 21 जून 2010
    जिन मराठियों के लिंग की छोटाई के कारण आज पूरे भारत के मर्दों को नीचा देखना पड़ रहा है वे यहां बेपर की उड़ा रहे हैं। पोस्ट के विषय से ध्यान हटाने का प्रपंच मात्र है यह सब, इसे हर कोई देख और जान रहा है।

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  108. satya gautam tum ghabrana nahi hum bhi yaha par aa gaye hai tum yaha par akele nahi ho

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  109. आपका स्वागत है कॉमरेड।

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  110. आजादी के समय भूमि सुधार आन्दोलन चला भूमि हीनो को भूमि दी गयी दलितों के लिए सरकार की तरफ से नयी नयी योजनाये बनती रहती है
    नौकरियों में आरक्षण विद्यालय में परवेश के लिए आरक्षण कॉलेज में आरक्षण और तो और सरकार की तरफ से अनुसूचित छात्रावास हॉस्टल बनाये जा रहे है
    दूसरी बात जिनोहने कला धन विदेशो में जमा कर रखा है हो सकता है की उनमे दलित भी शामिल हो
    इतना कुछ होते हुए भी ५ % या १५ % जमीदारो के धन पर लार टपक रही है यहाँ तक डॉ आंबेडकर जी को पड़ाने में जिसने सहायता की वो भी जमीदार थे
    दलितों को हराम का खाने की आदत पड गयी है जिन लोगो के पास सोना चांदी या हीरे जवाहरात है वो क्या दलितों से छीन कर ले गए थे

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  111. भगवान् कृष्ण ग्वालो के बीच रहे उसके बाद गोकुल छोड़कर चले लेकिन जब अपने महलो में गए तो दुर्योधन और बाकि कौरव उन्हें क्षत्रिय नहीं कहते थे उन्हें ग्वाला गाय चराने वाला निचो के साथ रहने वाला ऐसा कहते थे ऐसे ही शिवाजी महाराज थे जो थे तो क्षत्रिय लेकिन लोग उन्हें शुद्र कहते है

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  112. सर्वण दलितों से छुआछुत मानते है दूर रहते है वही दलित भी तो कर सकते है जिस दलित की गली से सर्वण निकले बस तुरंत एक बकरा काटा
    पूरी गली को पवित्र कर दो यदि दलित के घर सर्वण आ जाये तो जैसा सर्वण करते है वैसा ही व्यवहार करो ना

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  113. जब राज तंत्र था तब भी तो ऐसे ही हालात थे राज तंत्र से लोक तंत्र आ गया तब भी ऐसे ही हालात है राज तंत्र में जमीदारो ने दलितों हक़ छिन लिया तब जमीदारी प्रथा समाप्त करो इस तरीके से शोर मचाते थे अब दुसरे तरीके से शोर मचाते है दलितों को कभी चैन भी आएगा जबकि डॉ अबेडकर जी ने आरक्षण व्यवस्था को दस सालो में हर हालत में समाप्त करने की बात कही थी

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  114. साले कटुए ,हरामखोर
    अपना असली नाम लिखने में तेरी अम्मा मरती है जो हिन्दू नाम रख कर लोगो को धोखा दे रहा है .
    हम हिन्दुओ को सवर्ण दलित आदि में बाट कर लड़ना चाहता है
    हम हिन्दू है और हम सबसे पुरानी सभ्यता है जो आज भी जीवित है अपने विश्वास के कारण .
    रही दलित -सवर्ण की बात, क्या सिर्फ 15% सवर्ण पिछले 1000 सालो से हिंदुस्तान की पवित्र भूमि चल रहे जेहाद से हिन्दू धरम की रछा कर सकते थे .
    नहीं बिलकुल भी नहीं ,
    हमें हिन्दू होने पर गर्व है और यही हमारी शक्ति है .
    दोगले कटुए जयादा सयाना मत बन .

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  115. आखिर वही हुआ जो हमेशा से होते आया है,अगर किसी दलित या शुद्र ने सवर्णों की हकीकत को दुनिया के सामने लेने का प्रयास किया तो ये सवर्णों को असहनीय लगता है,आखिर इन सवर्णों को तकलीफ क्या है,न ही हमसे अलग होते है और न ही हमें अच्छे से जीने देते है,,,,,,सत्य गौतम जी आपने बहुत ही जबरजस्त लेख लिखा है इस्ससे आपने सवर्णों के निचे से जमीं खिसका दी है....मैं आपको बहोत बहोत बधाई देता हु और इन लावारिस सवर्ण कुत्तो को भौकने दीजिये......

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  116. कथित गौरव गाथाओं के पुरोधा और हिंदू संस्कृति का गुणगान करने वाले भड़ास बिग्रेड के कुकुर्स ...... यहाँ अपनी भड़ास निकालने से कुछ नहीं होने वाला ...... ये लोग कितने सभ्य और सुसंस्कृत रहे हैं इसका प्रत्यक्ष प्रमाण यहाँ मिल रहा है ........ गौतम जी आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं ..... मेरी शुभकामनाये आपके साथ हैं ..... भड़ास बिग्रेड वो लोग हैं जो सूरज को टार्च दिखाकर सोचते हैं कि हमने सूरज को अंधा कर दिया है ..... इनको खुश होने दीजिए ...... बोलने दीजिए ......जय भीम

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  117. भोसड़ी के तुम्हारी गांड में क्यूँ मिर्ची लगती है

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  118. भाई अगर ये हिस्सा तूम को दे दिया । तूम क्या करोगे ? अभीतक मेहनत मजदूरी कर के खाते थे वो मेहनत छोड दोगे । बैठे बैठे खाना खाओगे और रात ओ पी के टुन्न हो के सो जाओगे । वो पैसे वापस काम करनेवाले धन्धादारियों के पास चला जायेगा । तू खाली हो जायेगा । आप लोग जिन को वोट देते हो ना उसने बाजारवाद का अर्थतंत्र अपनाया है माओवाद का नही । यहां तो जिस की लाठी उस की भैंस होती है । बलवान सेठ बनता है कमजोर नोकर । नौकर को सेठ जितना पैसा मिले तो वो भी सेठ बन जाता है । कोइ किसी का काम नही करना चाहेगा । पूरा अर्थतंत्र रुक जाता है । पैसा किस के पास है ईस का महत्व नही है महत्व है पैसा किसके पास नही है । जिस के पास पैसे नही है वो ही कामका आदमी होता है । उसी को ही ललचाया जा सकता है, उसी को ही सपने दिखये जाते हैं, उसी को ही कुत्ता या गधा बनाया जा सकता है । टुकडा डालो कुत्तों की तरह वफादार रहेगा, वोट डालता रहेगा । गधों की तरह कारखानों मे काम करता रहेगा ।

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  119. Well Done satyagautam bhai......
    We r with you.......
    Jai bheem

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  121. सत्य गौतमजी मै आपको एक बात बताना चाहता हूॅ। छत्रपती शिवाजी महाराज ने जब बजाजी निंबालकर का धर्मांतरण करवा रहे थे तब वहाँ पर देश के सभी ब्राह्मणों ने जमकर विरोध किया था। लेकिन वही ब्राह्मण आज लोगों का धर्मांतरण करवा रहे है।अब भ्रष्ट नही हुआ इनका धर्म।उस वक्त तो बड़े उछल रहे थे।

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