सत्य गौतम अभावों की कोख से जन्मा हुआ और जीवन के घावों को ढोने वाला एक ऐसा बदनसीब इंसान है जिसे किसी से प्यार के बोल सुनने नसीब न हुए, न आज न पहले। सत्य गौतम केवल सत्य गौतम है, अगर कैरानवी होता तो अच्छा होता। उसे अपने अभावों और घावों की पूर्ति के लिए किसी ‘रब‘ का आसरा तो है। यहां तो ‘अप्प दीपो भवः‘ होना पड़ता है। वह परलोक आत्मा और तकदीर को मानता है यहां इसका कोई अनुभव नहीं है। जिसका अनुभव ही नहीं है उसे मानना मेरा काम नहीं है और उसके इंकार में समय लगाना भी मैं अपनी ऊर्जा गंवाना ही मानता हूं।मैं सत्य को कम जानता हूं और असत्य को पूरा। सम्मान की केवल परछाईयां ही देख पाया हूं जबकि तिरस्कार और अपमान हर पल मुझे डसते रहते हैं। यह डंक और यह पीड़ा मुझे उनसे मिलती है जो ‘धर्म परिवर्तन‘ के विरूद्ध स्वर मुखर करते रहते हैं। उनकी गल्ती भी मैं नहीं मानता ‘हिंदू ग्रंथ‘ उनका मन ऐसा ही बना देते हैं। जिसे वे धर्म समझते हैं वही मेरी और मेरे समाज की पीड़ा का मूल कारण है जिसे मैं समय के साथ नष्ट होते हुए देखने का सोने जैसा अवसर पाकर खुश हूं। अपनी खुशी को SHARE करने के लिए ही मैंने यह ब्लाग बनाया है और जो मैंने जिस समाज से पाया है वही उस समाज को लौटा रहा हूं। जो सच देखा है भोगा है जाना है समझा है वही आपको बता रहा हूं। सच को झेलना हरेक के बस की बात नहीं है और विशेषकर आप जैसे धंुधग्रस्त के लिए तो बिल्कुल भी नहीं। मुझे पता है कि हिंदू परंपराओं के रखवालों ने टीवी चैनल्स तक पर हमले किये हैं। बाबा साहब की ‘द रिडल्स आॅफ हिंदूइज्म‘ पर भी बैन लगवाया है। आज भी स्थिति बहुत अधिक बदली नहीं है इसीलिये सामने नहीं आ सकता और किसी ब्लागर के लिये सबके सामने आना जरूरी भी नहीं है।
आपके सामने आने के आग्रह से संदेह होता। क्या करेंगे आप मुझे अपने सामने पाकर या लाकर ?
आप मेरी बात देखिये , आप मेरे तर्क देखिये , आप भी अपने तर्क लाईये और बताईये कि आपने दलितों को कितना अपनापन और सम्मान मिला है।कैरानवी के समुदाय से मुझे कभी अपमान नहीं मिला , कभी उनके साथ बैठकर आत्म ग्लानि का अहसास नहीं हुआ। मैं कैरानवी को तो नहीं जानता लेकिन उनके भाई बंधुओं के बर्ताव को मैंने करीब से देखा है।उनकी ज्यादा तारीफ इस डर से नहीं करूंगा कि अब मुझे कोई अन्य मुस्लिम कह दिया जाएगा । बस इतना कहना चाहूंंगा कि मैं केवल मैं हूं अन्य नहीं । आने वाला समय इसे बिल्कुल साफ कर देगा जैसे कि पानी बरसने के बाद आकाश हो जाता है।
अंत में
कैरानवी की बिरादरी से कहूंगा कि आपके भी सब काम ठीक नहीं हैं लेकिन मैं उन पर लिखकर दो मोर्चे एक साथ नहीं खोलना चाहता , इसलिए चुप हूं और मेरे समुदाय को उससे कोई लाभ भी नहीं है , हां नुक्सान अवश्य है। इसके बादईश्वर , धर्म और मरणोपरांत फल संबंधी बातों में मुझे कोई दिलचस्पी नहीं है। कल जो भी हो लेकिन मैं आज को जीना चाहता हूं। आज का जीवन सरल हो सफल हो इसके लिए जो भी विधि हो उसे पकड़ा जाना चाहिये बाकी समस्त चीजे तज देने योग्य हैं। आओ मानवता के उत्थान और विकास के लिए वैज्ञानिक विचार पद्धति को अपनाएं।
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जब कोई लेखक कोई पुस्तक या कहानी लिखता है ..उस कहानी के सारे पात्र उसकी दिमाग की सोच होते है..हर एक पात्र अपना नही उसका चरित्र दिखाते है ...
ReplyDeleteजब तुलसीदास ने राम चरित्र मानस लिखी ...तब ये घटना पुरानी हो चुकी थी...एसा तो था नही कि तुलसीदास राम कि पीछे घूमते थे..और उनकी बातो को नोट कर के लिखते थे..ये उनका लिखा हुआ चरित्र है ....राम का चरित्र नही है ..जो उनके मन में आया वो लिखा उन्होंने...
ककन किकिनी नुपुर धुनि सुनि|कहत लखन सन राम ह्रदय गुनि
मानहु मदन दुनुभी दिन्ह्नी |मनसा बिस्व्या विजय कह किन्ही||
हाथो के कणे ,करधनी और पायल कि अआवाज सुनकर राम लख्मण से कहते है मानो yesi धुन आ रही है कि कामदेव ने संसार को जितने का संकल्प किया है
क्या ये बात कोई सभ्य आदमी अपने छोटे भाई से कहेगा ...ये राम ने नही तुलसीदास के विचार है
सूद्र गवार ढोल पशु नारी |सकल ताड़ना के अधिकारी ||
पंडित क्षत्रिय और वैश्य को छोडकर सभी जाति के लोग ,गावो में रहेने वाले लोग ,पशु औए नारी मार खाने योग्य है ..ये इनसे ही टीक रहती है
अपनी औरत से लत खाने वाले तुलसी दास पूरी कहानी में औरत को जलील करते आये hai
तुलसी दास ने सदेव ही पंडितवाद को बढावा दिया है ...........
सटीक लेख
ReplyDeleteइन लोगो को बक बक करने दो
ReplyDeleteहम तुम्हारे साथ है
ReplyDeleteतुम लोग ऐसे नही मानने वाले
ReplyDeleteतुम सब कुत्ते हो
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteयह क्या बकवास है
ReplyDeleteगौतम साहब कैरानवी का सलाम कबूल फरमायें, दोस्तों से सुना
ReplyDeleteथा कोई गौतम कैरानवी कैरानवी कैरानवी करता फिर रहा है
आपका दोस्ती या दुश्मनी से अभी हक अदा नहीं कर सकता, आप उन दिनों आये हो जब मैं बहुत व्यस्त हूँ
ReplyDeleteइस लिये तो बस आज हाजिरि लगा रहा हूँ
समय मिलते ही आपके ब्लाग पर आउंगा और समझने की कोशिश करूंगा कि आप चाहते क्या हो
कैरानवी जी ! आप आये , मेरा नसीब। आपका नाम सुना है और सरसरी तौर पर आपके ब्लॉग्स भी देखे परंतु मैं तो अवतारवाद को ही नहीं मानता तो आपका समर्थन ही कैसे करता। लोग आपको विद्वान मानते हैं लेकिन आपने महान समाज सुधारक मुहम्मद साहब को अवतार कह दिया। यह आपकी अक्षम्य भूल है मेरे निकट। अवतार होते हैं जालिमों के , वे धरती पर आते हैं कमजोरों का खून बहाने के लिए। मुहम्मद साहब ने तो काले बिलाल को अपना शिष्य बनाया काबे पर चढ़ाया फिर वह अवतार कैसे हो सकते हैं ? अवतार के मानने वाले तो एकलव्य का अंगूठा कटवा लेते हैं । अवतार होते हैं विष्णु के और विष्णु के लोक में म्लेच्छ और शूद्र जा नहीं सकते तो म्लेच्छों में कोई विष्णु का अवतार हो भी नहीं सकता। कहीं लिखा भी नहीं है कि म्लेच्छों में विष्णु का अवतार होगा।
ReplyDeleteसंभवतः मुसलमानों ने सोचा होगा कि मुहम्मद साहब को अवतार घोषित कर देने से हिंदुओं के लिए उनका मानना निश्चित हो जाएगा। हिंदू तो केवल अपना हित देखता है और हित होता है सदा विजेता के अण्डकोष नमन में। आज मुसलमानों का डंका बजता था तो शेरवानी पहनकर घूमते थे। मुगलई ड्रेस पहनते थे। शिवाजी भी ऐसी ही ड्रेस पहनकर छिप छिप कर वार करते थे। जिस मुसलमान ने उसे टोकरे में बिठाकर भगाया, उसकी जान बचायी उसी के सहजाति बंधुओं पर उसने जुल्म तोड़े और आज तक शिव सैनिक जुल्म कर रहे हैं। आज अंग्रेजों के पिशाब में चिराग जल रहे हैं तो यही हिंदू भाग भाग कर आस्ट्रेलिया जा रहे हैं पढ़ने और कुत्ते से अच्छी मौत मर रहे हैं।
जिस घटिया नजर से ये भारत में दलितों को देखते हैं ये विदेश में उसी अपमान को सहकर जीते हैं और फिर इनकी लड़कियां वह करती हैं जो कि वेद पुराण जैसे हिंदू ग्रंथों में लिखा है और फिर होती हैं ऐसी संतानें जैसी कि इनके पूर्वजों के काल में होती थी। जब से भारत में आर्य भारत आये तब से ही सब कुछ नैतिकता आदि में तो मानो आग ही लगा दी गई।
ये पूजते हैं शक्ति को। आप शक्तिवान बनायें खुद को , ये झुक जाएंगे। शक्ति आयेगी एकता से । आपको सवर्णों से ज्यादा दलितों पर ध्यान देना चाहिये। दलित केवल प्यार और सम्मान का भूखा है। आप प्यार दीजिये दलितों को , आपकी शक्ति बढ़ती चली जाएगी। मुझे आप अपना विरोधी न समझें लेकिन जो बातें मेरे अनुभव और ज्ञान में नहीं आतीं मैं उन पर बहस नहीं करता। बहस के लिए मानवता के हित पर सोच को प्रबुद्ध करने वाले मुद्दों की कोई कमी नहीं है। हमें अपना ध्यान उसी पर केंद्रित करना चाहिये। समय आपको बताएगा कि आपने सवर्णों पर जितना भी समय लगाया सब बर्बाद किया और जहां आपकी प्रतीक्षा हो रही है दलितों की उन अंधेरी बस्तियों आप अपने प्रेम का दीपक जलाने पहुंचे ही नहीं । बुरा लगे तो क्ष्मा कर दीजियेगा लेकिन सत्य यही है। सत्य कहने के कारण ही मुझे दुनिया सत्य गौतम कहती है।
mere bhai mera vichar hai ki samaj samaj ke niyam tatkalik sudhar ke liye hote hain, jinse kuchh vikratiyan peda hoti hain, samay ke antral ke bad vahi vikrati vibhtas hoti jati hain. samaj sudhar tatkal ke sandarbh main hi prasangik rahte hain. desh kal aur paristhiti ke badalne ke sath achchhe se achchha sudhar bhi vikrat ho jata hai
ReplyDeleteसत्य गौतम तुम्हारी माँ की पति भी .............. मदर जात काही का
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