महक जी ! मैंने जो देखा और सोचा वह आपके सामने रख दिया। बहन जी सी.एम. हैं और दलित पिट रहे हैं, आपने कह तो दिया लेकिन यह देखने की जरूरत न समझी कि दलित क्यों पिट रहा है और उसे पीटने मारने वाले लोग कौन हैं ?
वे लोग हैं आपके सहजाति सवर्ण।
बहन जी के होने से यह लाभ तो है कि पीड़ित की रिपोर्ट दर्ज हो जाती है और उसे निश्चित अवधि में मुआवजा मिल जाता है जबकि जहां सी.एम. सवर्ण जाति से है वहां तो यह भी नहीं हो पाता। कानून में तो मर्डर करना भी मना है लेकिन क्या किसी भी प्रदेश में हत्या का होना रूक गया है ?
अपराध के पीछे जो मूल कारक तत्व होते हैं, जो सामाजिक सोच होती है उसे बदले बिना किसी भी अपराध का सफाया नहीं किया जा सकता। दलितों के प्रति किये जाने वाले अपराधों के पीछे भी सामाजिक सोच उत्तरदायी है और इसे कोई भी सी.एम. अपनी राजनैतिक ताकत के बल से नहीं बदल सकता। आपको बहन जी के मूर्ति लगाये जाने से बड़ा कष्ट पहुंच रहा है और जो हर चैराहे पर दलितों का दमन करने वालों को देवता बनाकर उनकी मूर्तियों की पाखण्डपूर्ण पूजन-अर्चन किया जा रहा है क्या वह जनता के धन-श्रम का दुरूपयोग नहीं है ?
हरेक आदमी कमजोर की तरफ ही लपकता है , आप भी मुझे कमजोर देखकर ही गरजे । कोई मुझे कैरानवी बता रहा है और कोई महक । भूमि का क्या जोड़ आकाश से और मैं तो भूमि भी नहीं पाताल हूं। संसद बनाने से क्या होगा ?कानून अगर बुरा भी हो लेकिन उसे लागू करने वाले कुशल और न्यायप्रिय हों तो रिजल्ट अच्छा आता है लेकिन अगर आपने कानून अच्छा भी बना लिया तो क्या ? अगर उसे लागू करने वाले ही भ्रष्ट हुए।
भ्रष्टाचार कैसे मिटे ?
प्रश्न यह है लेकिन आप मूल प्रश्न का समाधान न खोजकर चिंतक बनने की धुन पाले हुए हैं। मैं आपको समस्या से उसकी प्रकृति और वास्तविकता से परिचित करा रहा हूं लेकिन आप मुझे कुएं का मेंढक कह रहे हैं। उतर गया आपका उदार और नर्म बनने का सारा ढोंग ?
कुवांरे लड़के जवान होते हैं। उनकी जवानी एक जवान साथी मांगती है लेकिन वह उनके पास होता नहीं तो वे क्या करते हैं ?
वे हस्तमैथुन करते हैं। उन्हें तृप्ति मिल जाती है। उन्हें लगता है कि उनकी समस्या का समाधान हो गया परन्तु उनकी समस्या का समाधान वास्तव में तब होता है जब उनका विवाह हो जाता है।
‘ब्लाग संसद‘ सवर्ण ब्लागर्स का हस्तमैथुन है, आभासी जगत का अद्भुत हस्तमैथुन है यह। हस्तमैथुन के परिणाम वास्तव में बहुत बुरे होते हैं। आप भी यह देर सवेर यह जान ही जाएंगे।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
सत्य गौतम जी आपने जो लिखा उससे सहमति के साथ ही एक बात और कि न सिर्फ़ जाति बल्कि धर्म,भाषा और क्षेत्रादि से भी संबंधित है। जो बहुसंख्यक और समृद्ध हैं वे कमजोरों और अल्पसंख्यकों का शोषण करते आए हैं। ब्लाग पर मौजूद लोग कोई दूसरे ग्रहों से नहीं आए ये वही हैं जो समाज में दूरियाँ जीवित रखे हैं। मैं भी जब हिन्दुत्त्व,इस्लाम,हिन्दी,उर्दू,शिया,सुन्नी,बोहरा,खोजा,ब्राह्मण,चमार आदि से तंग आ गया तो पढते पढ़्ते भड़ास नाम का ब्लाग ज्वाइन करा है इस ब्लाग संसद में उस ब्लाग से एक भी बंदा न होगा क्योंकि वे सब एकदम खरे लोग हैं कोई बनावटीपन नहीं है। पूर्वाग्रहों के आधार पर जमे भ्रमों को दूर करके आज को देखना बेहतर है। उत्तम आलेख है।
ReplyDeleteअरे वाह !! कितना रोचक खंडन किया है आपने, सच में इन शब्दों के प्रयोग के लिए तो आपको भारत रत्न मिलना चाहिए ,अब ज़रा कुछ खंडन मैं भी कर दूं
ReplyDeleteमहक जी ! मैंने जो देखा और सोचा वह आपके सामने रख दिया। बहन जी सी.एम. हैं और दलित पिट रहे हैं, आपने कह तो दिया लेकिन यह देखने की जरूरत न समझी कि दलित क्यों पिट रहा है और उसे पीटने मारने वाले लोग कौन हैं ?
ReplyDeleteवे लोग हैं आपके सहजाति सवर्ण।
मेरे मित्र मुझे एक भी लाइन दिखाएँगे जहाँ पर मैंने ऐसे किसी व्यक्तियों का समर्थन किया हो जो उंच-नीच और जाती के भेद-भाव में यकीन रखते हों या ऐसा करते हों ,आप इस सवाल से तो कन्नी काट गए की जब आपकी ही जाती का व्यक्ति राज्य के सबसे बड़े पद पर बैठा है ,सी.म है और उसके होते हुए दबंग और गुंडे प्रवति के लोग ऐसा कर रहें हैं तो उसे सी.म बनाने से लाभ क्या हुआ है ,अब जब वो इतने बड़े और शक्तिशाली पद पर बैठ कर भी इसे नहीं रोक रही है तो इससे साबित होता है की व्यक्ति की जाती या मजहब नहीं बल्कि उसका चरित्र और व्यक्तितिव महत्वपूण है
बहन जी के होने से यह लाभ तो है कि पीड़ित की रिपोर्ट दर्ज हो जाती है और उसे निश्चित अवधि में मुआवजा मिल जाता है जबकि जहां सी.एम. सवर्ण जाति से है वहां तो यह भी नहीं हो पाता।
ReplyDeleteतो आप इसे लाभ कहते हैं ,लाइए मैं आपकी पिटाई कर दूं और फिर कह दूं ये लो भाई 3000 रूपये और जाकर कहीं अपनी मरहम -पट्टी करवाओ , क्या हो जायेंगे आप संतुष्ट ? मेरे खैयाल से आप तो हो जायेंगे आखिर आप ही तो हैं बहन जी की आखिरी उम्मीद की जिस प्रकार दलित उत्थान के नाम पर बेशर्मिपूर्वक चंदा इकठ्ठा करने और गरीबों के हक की अरबों की सम्पन्ति जमा करने का जो रिकॉर्ड मैंने बनाया है उसे मेरा ये वाला भाई ही तोड़ेगा ,सच में आपमें काबिलियत है ऐसा करने की , मेरी ओर से शुभकामनायें
कानून में तो मर्डर करना भी मना है लेकिन क्या किसी भी प्रदेश में हत्या का होना रूक गया है ?
ReplyDeleteअपराध के पीछे जो मूल कारक तत्व होते हैं, जो सामाजिक सोच होती है उसे बदले बिना किसी भी अपराध का सफाया नहीं किया जा सकता। दलितों के प्रति किये जाने वाले अपराधों के पीछे भी सामाजिक सोच उत्तरदायी है और इसे कोई भी सी.एम. अपनी राजनैतिक ताकत के बल से नहीं बदल सकता।
वाह !! क्या बात कही है आपने ,आपके इस ब्लॉग की हर पोस्ट को यदि दलित और स्वर्ण भाई मिलकर पढ़ें तो निश्चित तौर पर ये सामाजिक सोच बदलेगी , इतना भाई-चारा बढाने वाली पोस्ट्स जो डाली हैं आपने ,मेरी हर स्वर्ण और दलित भाई से प्रार्थना है की गौतम जी के ब्लॉग की हर पोस्ट को बड़े ध्यान से पढ़ें ,उन्होंने एक भी ऐसी बात नहीं कहीं हैं जिनसे दलितों और सवर्णों में एक दुसरे के प्रति द्वेष,हिंसा और वैमनस्य का भाव उत्पन्न हो बल्कि उनकी पोस्ट्स में तो दोनों के बीच में इतना प्रेम कराने की कोशिश की जाती है की उतना प्रेम अगर आप सब एक दुसरे से करें तो महाभारत से भी बड़ा और महान ग्रन्थ लिखा जा सकता है , निश्चय ही सराहानिये है आपका इस तरह से सामाजिक सोच को बदलने का प्रयास ,हमें पूरा विश्वास है आप पर ,आपकी इतनी प्रेमपूर्ण पोस्ट्स से निश्चित तौर पर ये सामाजिक सोच बदलेगी और दलित और स्वर्ण के बीच में अत्यंत प्रेमपूर्ण सम्बन्ध स्तापिथ होंगे
आपको बहन जी के मूर्ति लगाये जाने से बड़ा कष्ट पहुंच रहा है और जो हर चैराहे पर दलितों का दमन करने वालों को देवता बनाकर उनकी मूर्तियों की पाखण्डपूर्ण पूजन-अर्चन किया जा रहा है क्या वह जनता के धन-श्रम का दुरूपयोग नहीं है ?
ReplyDeleteवाह !! एक और कितनी समझदारी वाली बात कही है आपने, स्वर्ण या ऊँची जाती के लोग अगर मूर्तियों पर धन बर्बाद करें,उसका दुरुपयोग करें तो बहन जी को भी धन का प्रयोग दलितों के अभावों को दूर ना करने में करकर उन्ही लोगों की तरह बर्बाद करना चाहिए ,दलित रोटी ना खाएं तो कोई बात नहीं ,उनके बच्चे भूख से तड़प-२ के मर जाएँ तो भी कुछ नहीं लेकिन धन का दुरूपयोग करके झूठी शान का जो दिखावा सामने वाले कर रहें हैं हमें भी वही मूर्खता करनी है ,सच में इससे खूब सम्पन्नता आएगी दलितों में, आपकी समझ पर नाज़ है हमें
हरेक आदमी कमजोर की तरफ ही लपकता है , आप भी मुझे कमजोर देखकर ही गरजे । कोई मुझे कैरानवी बता रहा है और कोई महक । भूमि का क्या जोड़ आकाश से और मैं तो भूमि भी नहीं पाताल हूं।
ReplyDeleteओहो !!! कितनी सच्ची और दुखदायी बात कही है आपने ,आपने मुझसे शिकायत की की मैंने आपको संसद का निमंत्रण नहीं भेजा , मैंने भूल सुधार कर प्रेमपूर्ण निमंत्रण भेजा तो सच में कितना बुरा किया मैंने ,आपने मुझे व्यसनी कहा ,अय्याश कहा , धुन्ध्ग्रस्त कहा ,मेरे लिए पूजनीय और पवित्र इस ब्लॉग्गिंग के मच को विडियो गेम और टाइम पास कहा और बदले में मैं आपसे ब्लॉग का सदस्य बनने और आपकी हर समस्या और शिकायत रखने का और उसे सुलझाने और दूर करने का आपको भरोसा दूं तो मैं आप पर गरज रहा हूँ , आपसे उन दलित चिंतकों के ब्लॉग के लिंक मांगूं और आपको वचन दूं की आप लिंक भेजें मैं अभी उन्हें निमंत्रण भेजता हूँ तो सच आपको बहुत बड़ी गाली दे दी मैंने ,सच में आपका ऐसा रोना देखकर तो मुझे अब वाकई अफ़सोस हो रहा है की मैंने आपको प्रेमपूर्वक समझाकर और आपसे विनती करके आपके साथ बहुत गलत किया पर चिंता ना करें आगें से ये भूल नहीं होंगी
प्रश्न यह है लेकिन आप मूल प्रश्न का समाधान न खोजकर चिंतक बनने की धुन पाले हुए हैं। मैं आपको समस्या से उसकी प्रकृति और वास्तविकता से परिचित करा रहा हूं लेकिन आप मुझे कुएं का मेंढक कह रहे हैं। उतर गया आपका उदार और नर्म बनने का सारा ढोंग ?
ReplyDeleteयहाँ भी दाद देनी पड़ेगी आपकी ,मैं आपको ब्लॉग का सदस्य बनने के लिए आमंत्रित करूँ ,आपसे निवेदन करूँ की आप समस्या की प्रक्रति और वास्तविकता से हम सबकी परिचित करायें इस मंच पर तो बहुत बड़ा गुनाह कर दिया मैंने ,मैंने बहुत सारे ब्लोग्गेर्स (जिनको की मैं जानता हूँ )को एक स्थान पर इकठ्ठा करके उनसे निवेदन किया की सिर्फ समस्या की आलोचना ना करें उसका हल भी बताएं तो कितना बड़ा गुनाह कर दिया मैंने ,और उससे भी बड़ा गुनाह आप जैसे इतने सज्जन व्यक्ति को ब्लॉग का निमंत्रण देकर किया ,सच में मैं तो कुछ भी नहीं हूँ ,सबसे बड़े चतुर तो आप हैं जो उस ब्लॉग पर तो कहते हैं की मैं ब्लॉग पर समस्या का समाधान निकालने को ठोस नहीं मानता और इस ब्लॉग पर कह रहें हैं की मैं तो आपको समाधान से परिचित कराना चाहता हूँ ,सच में आपके इस दोगलेपन और दिखावे को प्रणाम है ,इसे यूँ ही कायम रखिये,आपके बहुत काम आने वाला है यह
कुवांरे लड़के जवान होते हैं। उनकी जवानी एक जवान साथी मांगती है लेकिन वह उनके पास होता नहीं तो वे क्या करते हैं ?
ReplyDeleteवे हस्तमैथुन करते हैं। उन्हें तृप्ति मिल जाती है। उन्हें लगता है कि उनकी समस्या का समाधान हो गया परन्तु उनकी समस्या का समाधान वास्तव में तब होता है जब उनका विवाह हो जाता है।
वाह !! यहाँ भी प्रणाम करना पड़ेगा आपके ज्ञान को , कितनी ज्ञानवर्धक बात बतायी है आपने हम सबको ,हमें तो ये मालूम ही ना था ,भई अब आप जितने ज्ञानी थोड़े हैं हम सब ,कृपया अपनी संतान को भी ये सब अवश्य बताएं की बेटा लगे रहो तब तक जब तक की मैं तुम्हारी इस समस्या के समाधान को तुम्हारे पास नहीं लाता , विवाह जैसे पवित्र रिश्ता जो की केवल तन की वासना पर नहीं बल्कि मन के विश्वास पर भी टिका होता है उसे बहुत खूब परिभाषित किया है आपने,सच में आप वन्दनिए हैं
‘ब्लाग संसद‘ सवर्ण ब्लागर्स का हस्तमैथुन है, आभासी जगत का अद्भुत हस्तमैथुन है यह। हस्तमैथुन के परिणाम वास्तव में बहुत बुरे होते हैं। आप भी यह देर सवेर यह जान ही जाएंगे।
ReplyDeleteवाह !! यहाँ भी कितनी ज्ञानवर्धक जानकारी दी है आपने हम सबको की स्वर्ण ब्लोग्गेर्स के हस्तमैथुन और दलित ब्लोग्गेर्स के हस्तमैथुन में बहुत फर्क होता है ,इस जानकारी में कृपया करके एक वृद्धि और करें ,अपनी असली फोटो ज़रूर लगा लें ताकि हमें यह भी पता लगे की वो फर्क कितना होता है
अब जब आपने इतनी सुन्दर शुरुआत कर ही दी है इतने अच्छे संबंधों की तो आपको यकीन दिलाता हूँ की आपको निराश होने का मौका नहीं मिलेगा ,आपकी इसी प्रकार की आगामी पोस्ट्स के लिए आपको हर बार एक सुन्दर आईना इनाम के तौर पर दिया जाएगा, उम्मीद है तब आपकी ये शिकायत भी दूर हो जायेगी की हम निमंत्रण के साथ-2 इनाम देने में भी भेद-भाव करते हैं , लेकिन अब आप निश्चिन्त रहें ,आपने अब अवगत करा दिया है तो आपकी इस शिकायत का पूरा खैयाल रखा जाएगा, चाहे और किसी को ईनाम देना भले ही भूल जाएँ लेकिन आपको अवश्य देंगे
ReplyDeleteमन तो कर रहा है की अभी ओर प्रशंसा करूँ आपकी लेकिन जानता हूँ आपकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है ,इसलिए आपकी बाकी की प्रशंसा हम पर उधार रही ,जल्दी से इसी प्रकार की नयी-2 पोस्ट लिखिए और अधिक से अधिक प्रशंसा पाइए
ReplyDeleteआपका परम शुभचिंतक
महक
Mai bhi dalit hu.pr kisi purvagrasit kisi ek khilaf nhi hu.ap dalito ki pramukh samasya(ashikha,garibi,satta)se door bhag rehe h.
ReplyDeleteacchaa bahas chal rahaa hai.mujhe mahakji ka vichaar acchaa lagaa.
ReplyDeleteभाई महक जी, आपको बेनामी प्रोफ़ाइल की बातों का जवाब देने की क्या जरुरत है? जो लोग अपना असली फ़ोटो, सही नाम और पहचान नहीं बता रहे, उनके कमेण्ट डिलीट कीजिये…। कोई चाहे कि वह फ़र्जी नामों से आईडी और ब्लॉग बनाकर कुछ भी लिखता रहे, तो ऐसे में कोई सार्थक बहस नहीं हो सकेगी…। आप सत्य गौतम (जो कि वास्तव में दलित है या हिन्दू धर्म विरोधी, कहना मुश्किल है)को Ignore कीजिये, आपके ब्लाग पर कमेण्ट आये तो डिलीट कीजिये, जब तक वह अपनी पहचान उजागर न कर दे।
ReplyDeleteसत्य गौतम
ReplyDeleteतुम्हारी बाते विल्कुल तुम्हारे नाम की तरह सत्य है
दलितो ने इस देश मे बहुत शारीरिक ,मानसिक पीड़ाये झेली है और आज भी झेल रहे है.
वो पीड़ा तुम्हारी हर पोस्ट मे साफ झलकती है . जिसको मै महसूस कर सकता हूँ.
मायावती भले ही जैसी भी हो उसने दलितो को एक प्रेरणा प्रदान की है.
अब कम से कम दलित ये सोच कर अपना हौसला तो बड़ा सकता है कि हमारे बीच की मायावती अगर इतना संघर्ष करते हुये CM बन सकती है. तो हम क्यो नही ?
अब सवाल आता है इन बच्चो के संसद गेम खेलने का.
तो खेलने दो भाई.
बच्चे है . खेल के मजा ले रहे है. उसके बाद ताली बजा कर खुश हो जायेँगे.
अब तुम इनसे कह रहे हो कि ये दलितो के लिये कुछ करे .या किसी के लिये भी कुछ करे .
तो इनकी क्या हैसियत की ये किसी के लिये कुछ करे.
ये अपने ही लिये कुछ कर ले तो बहुत है.
सत्य गौतम
मेरी तुमको यही सलाह है कि
तुम इन फालतु और पकाऊ बाते छौकने वालो के चक्कर मे न पड़ो
और जो इस देश मे दलितो पर अत्याचार हो रहे है. उन छुपी हुयी घटनाओ को ढूंढ कर अपने ब्लाग पर लिखो .और लोगो को उससे अवगत कराओ
RAHUL PANDEY
ये लो, एक और "छुपा रुस्तम" आ गये…। नाम "राहुल" बताते हैं… प्रोफ़ाइल, नाम-पता-फ़ोटो सब छुपा रखा है… सत्य गौतम के प्रिय भाई लगते हैं…।
ReplyDeletejitan maja dalit nai liya hai utna maja kisi na nahi liya hai har baat ka inaam dalit aaj bhee laiya raha hai bhola pan sa babu ji inaam ----diwali ka inaam --- holi ka inaam --- ladaka hona ki inaam--- uska nam karan kainaam--- uska pass hona ka inaam--- uska shaadi ka inaam--- har kaam ka daam ka alawa inaam bhee liya hai ---wah r
ReplyDeleteशरीफ़ खान को सलाम,
ReplyDeleteक्या ही सही फ़र्माया………।
"अत्याचार-जनित नफ़रत, बदले की भावना और जालिमों को जवाब देनें की क्षमता का दलितों में विकास होना."
बहुत खुब 'अमन के पैगाम' के रंगे सियारों।
अच्छा सिखाते हो,बदले की भावना के पैरोकारो !!
फ़िर तो आकृमण काल और मुगल काल भी याद रखना।
और फ़िर से जालिमों को जवाब का मज़ा चखना।
उस काल में तुमने भी इन्हे सिपाही बना बना कर
अग्रीम पंक्ति में मरवाया था,वह बदला भी ये लेंगे।
दलित व दलित समर्थक बंधुओं
ReplyDeleteसत्य गौतम,कोई दलित नहिं है, कोई छद्म दलित 1000 साल पूर्व का पिडित भाषक 'हिंसा का पैगामी' नफ़रत व फ़ूट का माहोल तैयार करना चाहता है।
और शरीफ़ खान जैसे लोग इस बहाने बदले की भावना को उकसा रहे है।
@सुरेश जी
ReplyDeleteये राहुल कोई और नहीं बल्कि राहुल के भेष में सत्य गौतम महाराज हैं, जनाब अब अपने मूंह से तो कुछ कहने के लायक रहे नहीं हैं सोचा की नकली कमेंट्स करके खुद का moral support बढ़ाया जाए
महक
देखो देखो एक पीड़ित के शोषण के विरुध स्वर को दबाने के लिए कितने महानुभव आ गये
ReplyDeleteदेखो देखो एक पीड़ित के शोषण के विरुध स्वर को दबाने के लिए कितने महानुभव आ गये
ReplyDeleteदेखो देखो एक पीड़ित के शोषण के विरुध स्वर को दबाने के लिए कितने महानुभव आ गये
ReplyDeleteछेड़छाड़ बलात्कार पर चुप्पी साध कर स्त्री को ही चरित्र हीन बताना नपुंसको का चरित्र है
ReplyDeleteछेड़छाड़ बलात्कार पर चुप्पी साध कर स्त्री को ही चरित्र हीन बताना नपुंसको का चरित्र है
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete@anonymous उर्फ़ मेरे प्रिय सत्य गौतम जी
ReplyDeleteआपकी ये राहुल और anonymous बनकर और फर्जी कमेंट्स डालकर सहानुभूति बटोरने की चाल कामयाब नहीं होने वाली ,बेटे ये tricks पुरानी हो चुकी हैं, कोई नयी चाल चलो
आपका परम्शुभ्चिन्तक
महक
महक जी! आपके दो में से एक गुरूतुल्य ब्लागर ने आपको इशारा किया है लेकिन आप नहीं समझे। उत्तेजना में विचार शक्ति क्षीण हो जाती है और सत्य गौतम जी यही चाहते हैं। यह एक जाल है जिसमें आप फंसते जा रहे हैं। यह सत्य गौतम जी जो भी हैं मेरे ब्लॉग पर भी कई बार अपनी पोस्ट के अंश पब्लिसिटी की ग़र्ज़ से डाल चुके हैं। मैं चुप रहा क्योंकि आप जानते हैं कि इन दिनों कुछ घरेलू मसरूफ़ियत ज़्यादा चल रही है और मैं इनके कुछ स्टेटमेंट भी देखना चाहता था क्योंकि इनसान के अल्फ़ाज़ उसकी सोच का आईना होते हैं। इनकी ज़्यादातर पोस्ट तो चंदे की हैं। हालांकि उनसे भी इनके सोचने की दिशा और दशा का पता चल जाता है लेकिन आदमी पकड़ा जाता है अपने बयान पर।
ReplyDeleteआप अपनी ताक़त बचायें और ‘ब्लॉग संसद‘ पर ध्यान दें। अपने मंतव्य से ध्यान हटाना ठीक नहीं है। इन्हें जवाब मैं दूंगा लेकिन थोड़ा ठहर कर। जिन लोगों को हिन्दू भाई देवी देवता मानते हैं मैं उन्हें तक़दीर का बनाने बिगाड़ने वाला तो नहीं मानता लेकिन उनमें से जो ऐतिहासिक या इतिहास पूर्व के धर्मनिष्ठ लोग हैं उनको मैं अपना पूर्वज मानकर आदर देता हूं। अगर कोई किसी कवि के अलंकारों या क्षेपक के कारण उनके चरित्र पर उंगली उठाता है तो उसकी आपत्ति का निराकरण करना मेरा फ़र्ज़ है। श्री रामचन्द्र जी और सीता जी भी उन्हीं में से हैं। आप मुझे आदर से पुकारते हैं सो सही सलाह आपको देना ज़रूरी समझा। इस टिप्पणी में भी अभी मैंने सत्य गौतम जी को कुछ कहना मुनासिब नहीं समझा लेकिन मैं न तो भूलता हूं और न ही भूलने देता हूं।
saty gautam ji aap apne blog se word verification hata le iske liye aap comment setting mai ja kur word verification hata de manohar pawan
ReplyDeleteसत्य गौतम तुम सही कह रहे हो
ReplyDeleteहक जी! आपके दो में से एक गुरूतुल्य ब्लागर ने आपको इशारा किया है लेकिन आप नहीं समझे। उत्तेजना में विचार शक्ति क्षीण हो जाती है और सत्य गौतम जी यही चाहते हैं। यह एक जाल है जिसमें आप फंसते जा रहे हैं। यह सत्य गौतम जी जो भी हैं मेरे ब्लॉग पर भी कई बार अपनी पोस्ट के अंश पब्लिसिटी की ग़र्ज़ से डाल चुके हैं। मैं चुप रहा क्योंकि आप जानते हैं कि इन दिनों कुछ घरेलू मसरूफ़ियत ज़्यादा चल रही है और मैं इनके कुछ स्टेटमेंट भी देखना चाहता था क्योंकि इनसान के अल्फ़ाज़ उसकी सोच का आईना होते हैं। इनकी ज़्यादातर पोस्ट तो चंदे की हैं। हालांकि उनसे भी इनके सोचने की दिशा और दशा का पता चल जाता है लेकिन आदमी पकड़ा जाता है अपने बयान पर।
ReplyDeleteआप अपनी ताक़त बचायें और ‘ब्लॉग संसद‘ पर ध्यान दें। अपने मंतव्य से ध्यान हटाना ठीक नहीं है। इन्हें जवाब मैं दूंगा लेकिन थोड़ा ठहर कर। जिन लोगों को हिन्दू भाई देवी देवता मानते हैं मैं उन्हें तक़दीर का बनाने बिगाड़ने वाला तो नहीं मानता लेकिन उनमें से जो ऐतिहासिक या इतिहास पूर्व के धर्मनिष्ठ लोग हैं उनको मैं अपना पूर्वज मानकर आदर देता हूं। अगर कोई किसी कवि के अलंकारों या क्षेपक के कारण उनके चरित्र पर उंगली उठाता है तो उसकी आपत्ति का निराकरण करना मेरा फ़र्ज़ है। श्री रामचन्द्र जी और सीता जी भी उन्हीं में से हैं। आप मुझे आदर से पुकारते हैं सो सही सलाह आपको देना ज़रूरी समझा। इस टिप्पणी में भी अभी मैंने सत्य गौतम जी को कुछ कहना मुनासिब नहीं समझा लेकिन मैं न तो भूलता हूं और न ही भूलने देता हूं।