हिन्दू ग्रन्थ
डॉ. अम्बेडकर ने 1935 में ऐलान किया,‘यद्यपि मैं हिन्दू जन्मा हूं , मैं हिन्दू मरूंगा नहीं।‘ यदि कोई मनुष्य अपने आपको छुआछूत की दुर्गति से मुक्त करवाना चाहता है, जाति-पांति की लानत से छुटकारा पाना चाहता है तो उसे हिन्दू मत को एकदम तिलांजलि देनी होगी। उन्होंने देखा कि हिन्दू धर्म में अछूत के रूप में पैदा हुए मनुष्य के लिए मानव की तरह सुशीलता और शान से जीवन व्यतीत करना असम्भव है।‘‘ यही कारण था कि डॉ. अम्बेडकर ने हिन्दू धर्म को त्यागा।
Wednesday, June 22, 2011
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