tag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post4943524607850410005..comments2023-10-30T08:35:11.905-07:00Comments on हिन्दू ग्रन्थ: शम्बूक हत्या वाला रामराज्य लौटने की कवायद क्यों ?सत्य गौतमhttp://www.blogger.com/profile/11175275197788938243noreply@blogger.comBlogger23125tag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-10255395512094568842020-04-13T14:19:58.289-07:002020-04-13T14:19:58.289-07:00और कितना गिरोगे भाई..??
इस फेक कहानी को फैलाने में...और कितना गिरोगे भाई..??<br />इस फेक कहानी को फैलाने में शर्म आनी चाहिए..<br />न राम ने सीता को त्यागा, न शम्बूक को मारा, न शुद्र को पराया समझा... इस इंसानी घृणा के दौर में ईश्वर को तो रहने दो.. बाबा साहेब ने हिन्दू धर्म छोड़ दिया तो इसका मतलब ये जरूरी तो नही कि वो सही थे... इंसान ऑफिस के गुस्से को घर वालों पर उतार देता है.. रही होगी कोई नासमझी, कोई गुस्सा जो जीवन के अंतिम पल में कुछ लोगों की वजह से कुछ अलग कर गए होंगे। तुम अपना धर्म देखो .. जो अच्छा लगे अपनाओ.. पर किसी धर्म के ईश्वर को इंसानी जालों में फस कर गाली न दो... इससे सिर्फ तुम्हारे सोच, संस्कार, विवेक और समझ का पता चलता है।Naya Savera 1 2 3https://www.blogger.com/profile/14963714435644655832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-82625739581693814222019-11-19T13:54:42.086-08:002019-11-19T13:54:42.086-08:00वैदिक काल मे बलात्कार की ब्यवस्स्था थी जैसे इन्द्र...वैदिक काल मे बलात्कार की ब्यवस्स्था थी जैसे इन्द्र ने अहिल्या के साथ मिलकर किया,रामराज्य मे जिसका फायदा उठाकर बीजेपी के नेता और बाबा लोग खूब बलात्कार कर रहे है. थू थू ऐसे रामराज्य मे, Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/02377227604735700365noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-13249800270037179952018-11-05T10:43:58.343-08:002018-11-05T10:43:58.343-08:00वैदिक काल मे तो वर्ण व्यवस्था थी ही नही.वैदिक काल मे तो वर्ण व्यवस्था थी ही नही.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/17081168514666756290noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-77897999545641123712018-01-16T20:26:15.803-08:002018-01-16T20:26:15.803-08:00अति उत्तम, बिल्कुल सत्य कहा आपने। और गीता मे भी स्...अति उत्तम, बिल्कुल सत्य कहा आपने। और गीता मे भी स्पष्ट किया गोविंद ने की वर्ण जन्म का नही बल्कि कर्मो का वर्गीकरण है। चोरी व झूठ बोलने वाला शुद्र है चाहे उसका जन्म ब्राह्मण के यहां ही क्यूं ना हुआ हो और सात्विक व सत्यवादी व्यक्ति ब्राह्मण है चाहे उसका जन्म किसी शूद्र कर्म करने वालो के ही यहां क्यूं ना हुआ हो।Raghubir Singhhttps://www.blogger.com/profile/11634815703417925891noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-90906958412034664912018-01-16T20:25:37.406-08:002018-01-16T20:25:37.406-08:00अति उत्तम, बिल्कुल सत्य कहा आपने। और गीता मे भी स्...अति उत्तम, बिल्कुल सत्य कहा आपने। और गीता मे भी स्पष्ट किया गोविंद ने की वर्ण जन्म का नही बल्कि कर्मो का वर्गीकरण है। चोरी व झूठ बोलने वाला शुद्र है चाहे उसका जन्म ब्राह्मण के यहां ही क्यूं ना हुआ हो और सात्विक व सत्यवादी व्यक्ति ब्राह्मण है चाहे उसका जन्म किसी शूद्र कर्म करने वालो के ही यहां क्यूं ना हुआ हो।Raghubir Singhhttps://www.blogger.com/profile/11634815703417925891noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-53885956207093029922018-01-16T20:20:30.398-08:002018-01-16T20:20:30.398-08:00बिल्कुल सही कहा आपने बिल्कुल सही कहा आपने Raghubir Singhhttps://www.blogger.com/profile/11634815703417925891noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-3987268142396899242017-07-19T08:23:11.507-07:002017-07-19T08:23:11.507-07:00dont write fake storys arey sharam karo bhagwaan k...dont write fake storys arey sharam karo bhagwaan ke wooper bi fake story jo ram shabari nimn varg ki jaathi vaali ka jhoota phgla khatha hi arey ye shambuk kaha say layare rey jhoota sonch wale bhavishya puran may lika tha ki aisa karney wale pyda honge jo jhoot ko sach,sach ko jhoot kar sakthey hi. thoooo hi thumari sonch par jab kaliyug aarabmh hone ke baad jo ved shastro ke khana huwa thabi say jaaathi waad ka pyda kiya gaya kuch kutil logo nekapilhttps://www.blogger.com/profile/08004613874585331151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-16774364709816729842017-04-16T03:40:15.304-07:002017-04-16T03:40:15.304-07:00राम ने ब्राह्मण रावण का वध किया,यहां ब्राह्मण जाति...राम ने ब्राह्मण रावण का वध किया,यहां ब्राह्मण जाति नहीं थी,ना कर्म।बल्कि ब्राह्मण रावण के कुकर्म से उसका वध हुआ।शम्बूक में जाति मत देखिए,राम ने बाली का भी वध किया,जो वानर था,क्योंकि वंचित सुग्रीव की सहायता करनी थी।राम बाली का साथ लेते तो वो एक दिन में रावण को ले आता।राम वंचितों और न्याय के साथ हैं।विभूतिhttps://www.blogger.com/profile/07683302906816094419noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-89394505740665710052017-03-23T10:20:55.740-07:002017-03-23T10:20:55.740-07:00वाल्मीकि रामायण के युद्ध काण्ड का समापन पढ़ने से यह...वाल्मीकि रामायण के युद्ध काण्ड का समापन पढ़ने से यह तो एकदम स्पष्ट हो जाता है कि वाल्मीकि रामायण वहीं पर समाप्त हो जाती है। युद्ध काण्ड के समापन पर रामायण पाठ की फ़लश्रुति आ जाती है – ‘जो भी इस रामायण का पाठ या श्रवण करेगा उसे बहुत पुण्य मिलेगा’ इत्यादि। जब नारद जी वाल्मीकि को राम कथा सुनाते हैं तब वहां भी फ़लश्रुति है, किसी अन्य काण्ड के अंत में फ़लश्रुति नहीं है। पारंपरिक फ़लश्रुति ग्रन्थों के अंत में आती हैं। अर्थात वाल्मीकि रामायण का समापन युद्धकाण्ड के बाद हो गया। तब इसके बाद उत्तरकाण्ड के लिखे जाने की बात ही नहीं बनती। वाल्मीकि को श्री राम की कथा ज्ञात नहीं थी। वह तो वाल्मीकि के ही अनुरोध पर ब्रह्मा जी ने नारद जी को उनके पास श्री राम की कथा सुनाने के लिये भेजा था। नारद मुनि जो कथा वाल्मीकि को सुनाते हैं वह महर्षि वाल्मीकि जी ने बाल काण्ड में ही लिख दी है। उस कथा में ‘उत्तर काण्ड नहीं है। तब वाल्मीकि कैसे अपनी रामायण में उत्तर काण्ड लिख सकते हैं ! अर्थात यह उत्तर काण्ड प्रक्षेप है। महर्षि व्यास के महाभारत में भी रामायण है, और उसमें भी उत्तर काण्ड नहीं है। अर्थात यह प्रक्षेप महाभारत की रचना के बाद डाला गया। कब डाला गया ? शम्बूक वध की घटना तो निश्चित ही वाल्मीकि के काल की नहीं हो सकती क्योंकि तब तक अनेक उपनिषद लिखे जा चुके थे । उपनिषदों में तो न केवल शूद्रों ने तपस्या की है वरन उनमें से कुछ तो मंत्र दृष्टा बनकर औपनिषदिक ऋषि की गरिमा को प्राप्त हुए हैं, यथा ऐतरेय, सत्यकाम आदि। ऐतरेय एक रखैल के पुत्र थे, उऩ्हें गुरुकुल में शिक्षा द्वारा संस्कार मिले, और उनके द्वारा रचित पूरा ‘ऐतरेय उपनिषद’ ही है जो ऋग्वेद का उपनिषद है। सत्यकाम न केवल शूद्र थे वरन एक अवैध बालक भी थे। इऩ्हें भी गुरुकुल में शिक्षा द्वारा संस्कार मिले और वे ऋषि बने। यह मान्यता भी थी कि ‘जन्मना जायते शूद्र:। संस्कारात द्विज उच्यते।’ जन्म से हम सभी शूद्र हैं, संस्कार पाकर ही हमारा दूसरा जन्म होता है। मानव व्यवहार का इस कथन में एक मनोवैज्ञानिक सत्य छिपा है, बालक को अच्छे संस्कार दो वरना वह ‘शूद्र’, आज के अनुभवों से तो कहना चाहिये कि राक्षस, ही बनेगा। वैसे भी त्रेता और द्वापर युगों में तो जातियां कर्म के आधार पर ही मान्य थीं। स्वयं क्षत्रिय विश्वामित्र का ब्रह्मर्षि बनना इसका उदाहरण है; उनके ब्रह्मर्षि बनने में उनके क्रोध, अहंकार और ईर्ष्या ही अवरोध थे। श्री राम हैं जो कि एक भीलनी शबरी से मात्र मिलने के लिये अपने रास्ते से हटकर जाते हैं, उस शबरी के पास कि जिससे मिलने के लिये सूचना एक राक्षस कबन्ध देता है। वही श्री राम जो निषादराज केवट को गले लगाते हैं, उसे प्रिय मित्र कहते हैं। वे चाहते तो नदी पार करने के बाद केवट को पारिश्रमिक (अँगूठी नहीं, जो कि उऩ्होंने दिलवाई) तथा धन्यवाद देकर बिना गले लगाये महान ऋषियों से भेंट करने आगे जा सकते थे, जैसा कि सामान्यतया होता है । किन्तु श्री राम ने केवट को मित्र मानते हुए गले लगाया। वे कैसे एक शूद्र की तपस्या करने के कारण उसकी हत्या कर सकते हैं !उत्तर काण्ड के अन्त में लिखा है,’उत्तर काण्ड सहित यहां तक यह आख्यान ब्रह्म पूजित है।’ इस कथन में ‘उत्तर काण्ड सहित’ लिखने के कारण संदेह होता है कि उत्तर काण्ड पर अनावश्यक बल दिया जा रहा है अत: ‘दाल में काला ‘ है। महाभारत काल के काफ़ी बाद तक ‘श्री राम’ का विरोध करने वाला कोई नहीं हुआ था। अम्बेडकर ने घोषणा की थी कि वे ऐसे हिदू धर्म का सम्मान नहीं कर सकते, जिसमें राजा राम एक शूद्र का तपस्या करने के कारण वध कर देता है। काश किसी विद्वान ने उऩ्हें सत्य का परिचय कराया होता, तो आज जो गलत तथा दुखद भेद दलितों तथा अन्य में हो गया है वह न होता।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-60846765587378170172016-11-19T07:14:54.355-08:002016-11-19T07:14:54.355-08:00अनसुना सत्य जानने हेतु नीचे शब्दों पर क्लिक करें औ...अनसुना सत्य जानने हेतु नीचे शब्दों पर क्लिक करें और पढ़ें...!!<br /><br /><a href="http://sh.st/st/a50e5d5ce77f49982b3ea026f8300449/vaidikdharma.wordpress.com/2013/01/27/sita-vanvaas-shambook-murder/" rel="nofollow">राम ने न तो सीता जी को वनवास दिया और न शम्बूक का वध किया</a>भवितव्य आर्यhttps://www.blogger.com/profile/07470514038804590756noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-47884290440833205202016-11-19T07:14:02.615-08:002016-11-19T07:14:02.615-08:00This comment has been removed by the author.भवितव्य आर्यhttps://www.blogger.com/profile/07470514038804590756noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-78627670959102579692015-11-25T21:38:51.239-08:002015-11-25T21:38:51.239-08:00जो रामकथा नारद जी वाल्मीकि को सुनाते हैं, न केवल उ...जो रामकथा नारद जी वाल्मीकि को सुनाते हैं, न केवल उसमें यह वर्णन नहीं है, वरन उसमें यह स्पष्ट लिखा है कि शूद्र भी रामायण पढ़कर या सुनकर पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। शम्बूक वध की घटना तो निश्चित ही वाल्मीकि के काल की नहीं हो सकती क्योंकि तब तक अनेक उपनिषद लिखे जा चुके थे । उपनिषदों में तो न केवल शूद्रों ने तपस्या की है वरन उनमें से कुछ तो मंत्र दृष्टा बनकर औपनिषदिक ऋषि की गरिमा को प्राप्त हुए हैं, यथा ऐतरेय, सत्यकाम आदि। ‘जन्मना जायते शूद्र:। संस्कारात द्विज उच्यते।’ जन्म से हम सभी शूद्र हैं, संस्कार पाकर ही हमारा दूसरा जन्म होता है। मानव व्यवहार का इस कथन में एक मनोवैज्ञानिक सत्य छिपा है, बालक को अच्छे संस्कार दो वरना वह ‘शूद्र’, आज के अनुभवों से तो कहना चाहिये कि राक्षस, ही बनेगा। स्वयं क्षत्रिय विश्वामित्र का ब्रह्मर्षि बनना इसका उदाहरण है; उनके ब्रह्मर्षि बनने में उनके क्रोध, अहंकार और ईर्ष्या ही अवरोध थे। श्रीकृष्ण ने अर्जुन से चौथे अध्याय में स्पष्ट कहा है :<br />“चातुर्वण्यं मया सृष्टं गुण कर्म विभागश:” अर्थात “मैने मनुष्यों के गुणों और कर्मॊं के अनुसार चार वर्ण रचे हैं।”<br />महाभारत में कि ब्राह्मण कौन है, युधिष्ठिर बार बार यही उत्तर देते हैं कि गुणवान ही ब्राह्मण है चाहे जन्म से वह कोई भी हो ।<br />उपनिषदों की सारी शिक्षा मानव मात्र के लिये है, किसी धर्म, या जाति या रंग के लिये नहीं, उसके ऋषि तो सब प्राणियों में एकत्व ही देखते हैं। नारद जी ने वाल्मीकि को जो राम कथा सुनाई उसमें वे कहते हैं कि राम ने सभी वेदों का समुचित अध्ययन किया है। समस्त रामायण में श्रीराम के समस्त कार्यों में यही मानव की एकता और प्रेम देखा जा सकता है, वे तो मनुष्य के गुणकर्म देखकर ही यथायोग्य व्यवहार करते हैं। अत: श्री राम को तो एक शूद्र द्वारा तपस्या करने पर अत्यंत प्रसन्न होना था, न कि उसकी ह्त्या करना था। वैसे भी यह तो वही श्री राम हैं जो कि एक भीलनी शबरी से मात्र मिलने के लिये अपने रास्ते से हटकर जाते हैं, उस शबरी के पास कि जिससे मिलने के लिये सूचना एक राक्षस कबन्ध देता है। वही श्री राम जो निषादराज केवट को गले लगाते हैं, उसे प्रिय मित्र कहते हैं। वे चाहते तो नदी पार करने के बाद केवट को पारिश्रमिक (अँगूठी नहीं, जो कि उऩ्होंने दिलवाई) तथा धन्यवाद देकर बिना गले लगाये महान ऋषियों से भेंट करने आगे जा सकते थे, जैसा कि सामान्यतया होता है । किन्तु श्री राम ने केवट को मित्र मानते हुए गले लगाया। वे कैसे एक शूद्र की तपस्या करने के कारण उसकी हत्या कर सकते हैं !<br /><br />ऐसा सुनने में आया कि शम्बूक वध घटना का उदाहरण देकर डाक्टर अम्बेडकर ने घोषणा की थी कि वे ऐसे हिदू धर्म का सम्मान नहीं कर सकते, जिसमें राजा राम एक शूद्र का तपस्या करने के कारण वध कर देता है। काश किसी विद्वान ने उऩ्हें सत्य का परिचय कराया होता, तो आज जो गलत तथा दुखद भेद दलितों तथा अन्य में हो गया है वह न होता। रामायण में उस प्रक्षेप डालने वाले शत्रु ने हिंदू धर्म पर कितना बड़ा सफ़ल प्रहार किया है; उसके कौशल की प्रशंसा करते ही बनती है,और हमारे सही न सोचने की जितनी निंदा की जाए,उतनी कम है।Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/10991651820431647257noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-50754265298562038772015-09-14T05:19:17.934-07:002015-09-14T05:19:17.934-07:00यह असत्य है ओर तथाकथित अतिवादी ओर स्वार्थी ब्राहम्...यह असत्य है ओर तथाकथित अतिवादी ओर स्वार्थी ब्राहम्णो का फैलाया हुआ झुठ है जिसकी वजह से 3000 साल से भी अधिक समय तक इन लोगो ने शुद्र समाज का शोषण किया ओर नारकीय जीवन जिने पर मजबूर किया। धन्य है भारत का संविधान ओर बाबा साहब जिन्होने इस अमानविय परंपरा को खत्म करने के सार्थक प्रयास किए।Health talkhttps://www.blogger.com/profile/03653739132482674890noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-53605349592397552472015-09-14T05:19:15.401-07:002015-09-14T05:19:15.401-07:00यह असत्य है ओर तथाकथित अतिवादी ओर स्वार्थी ब्राहम्...यह असत्य है ओर तथाकथित अतिवादी ओर स्वार्थी ब्राहम्णो का फैलाया हुआ झुठ है जिसकी वजह से 3000 साल से भी अधिक समय तक इन लोगो ने शुद्र समाज का शोषण किया ओर नारकीय जीवन जिने पर मजबूर किया। धन्य है भारत का संविधान ओर बाबा साहब जिन्होने इस अमानविय परंपरा को खत्म करने के सार्थक प्रयास किए।Health talkhttps://www.blogger.com/profile/03653739132482674890noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-36675289255896303742015-09-14T05:18:28.774-07:002015-09-14T05:18:28.774-07:00यह असत्य है ओर तथाकथित अतिवादी ओर स्वार्थी ब्राहम्...यह असत्य है ओर तथाकथित अतिवादी ओर स्वार्थी ब्राहम्णो का फैलाया हुआ झुठ है जिसकी वजह से 3000 साल से भी अधिक समय तक इन लोगो ने शुद्र समाज का शोषण किया ओर नारकीय जीवन जिने पर मजबूर किया। धन्य है भारत का संविधान ओर बाबा साहब जिन्होने इस अमानविय परंपरा को खत्म करने के सार्थक प्रयास किए।Health talkhttps://www.blogger.com/profile/03653739132482674890noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-60483355981328035812011-12-31T11:36:53.533-08:002011-12-31T11:36:53.533-08:00teesri azadi film dekho aur poora rahasya jano
yeh...teesri azadi film dekho aur poora rahasya jano<br />yeh film internet par maujood haiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-8453750382869846212011-06-24T01:30:55.274-07:002011-06-24T01:30:55.274-07:00kya kisi shudra ke tapasya se koi mar sakta hai ye...kya kisi shudra ke tapasya se koi mar sakta hai ye baat aap sab soco aur kisi ko marne se koi jinda kaise ho sakta hai ye murkh logo ne bhagwan ram ko badnam karne ka jo kam kiya hai is se yahi maloom hota hai ye agyani jindgi bhar rahenge koi mai ka lal agar thodi bhi bhudhi rakhta ho to meri bat ko soche<br />1) agar aryo ne is bharat par hamla kiya to unki orignal desh ka naam bataya jaye aur to aur arya ya brahmin sirf india main hai aur kahi nahi is se pata chalta hai ki sab ek hai <br />2) agar arya ne bharat main humla kiya to unhone aur kaha kaha humla kiya aur kon se desh jite kyo ki history is baat ki gavah hai ki muslim , british aur sikandar jaise logo ne puri duniya main humla kiya to aryo ne sirf bharat par humla karke kyo ruk gaye <br />3) aryo se pehle yaha ke logo ka religion kya tha aur sanskritiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-81653275455235152042011-05-17T04:49:03.283-07:002011-05-17T04:49:03.283-07:00@ Dr. shyam gupta ..." शम्बूक हत्या और सीतात्...@ Dr. shyam gupta ..." शम्बूक हत्या और सीतात्याग के वास्तविक तत्वार्थ भव भूति के उत्तर रामचरित में पढिये----सब कष्ट दूर होजायेंगे...." isske liye shudr hi ki hatya karni thi ... koi .. vaisiye ..ya brahaman nahi mila .. sab nautanki haiArun Roopakhttps://www.blogger.com/profile/01662556060949137879noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-3446478058546336482011-05-17T03:41:06.890-07:002011-05-17T03:41:06.890-07:00aise moorkhatapoorn lekho se kewal hinduo ko bantn...aise moorkhatapoorn lekho se kewal hinduo ko bantne ka prayas un shaktiyon dwara kiya ja raha hai jo kisi bhi haal me hinduo ko kamjor kar is desh ki jado ko khokhala karna chahte hain.chiraghttps://www.blogger.com/profile/13104329122984595145noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-9317515881912035202011-05-16T23:08:25.756-07:002011-05-16T23:08:25.756-07:00यह कथा पूरी तरह बकवास और कल्पोकल्पित है.यह सिर्फ त...यह कथा पूरी तरह बकवास और कल्पोकल्पित है.यह सिर्फ तथाकथित उच्च लोगो द्वारा गरीब पिछड़े लोगो को शिक्षा से वान्चिंत रखने के लिए फैलाया हुआ एक धुआ है.जो अपनी एक ही फूक से हट जाता है.Rahulhttps://www.blogger.com/profile/18170507403897932362noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-87498328614610403432011-05-16T20:47:14.146-07:002011-05-16T20:47:14.146-07:00Disgusting!Disgusting!Sheeba Aslam Fehmihttps://www.blogger.com/profile/07549073121532116368noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-16930565453759529822011-01-09T20:05:21.471-08:002011-01-09T20:05:21.471-08:00शम्बूक हत्या और सीतात्याग के वास्तविक तत्वार्थ भव ...शम्बूक हत्या और सीतात्याग के वास्तविक तत्वार्थ भव भूति के उत्तर रामचरित में पढिये----सब कष्ट दूर होजायेंगे.... shyam guptahttps://www.blogger.com/profile/11911265893162938566noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6106299428674469797.post-91755986855148775352010-06-28T00:45:20.628-07:002010-06-28T00:45:20.628-07:00जय भीम जी......
आपने एक हृदय विदारक घटना का उल्...जय भीम जी......<br /><br /><br /><br />आपने एक हृदय विदारक घटना का उल्लेख किया है,जिसे मै पहले बहुत से श्रीमुखो से सुन चुका हूँ,पर उन्होंने कहा से सुनी वो इसका जवाब "तेरे-मेरे से ही" देते है!आपने इसे कहा पढ़ा अथवा कहा से उद्धृत लिया उस ग्रन्थ का भी उल्लेख कर देते तो बड़ी कृपा होती विप्र्श्रेष्ठ.....<br /><br /><br /><br />कुंवर जी,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.com